इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का आरक्षण विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है। हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाला में शनिवार को बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने यूपी में 69 हजार शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द करने का आदेश दिया। दो जजों की बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को रद्द करते हुए नए सिरे से रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार को आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) और बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 का पालन करने का आदेश दिया है। दरअसल भर्ती में आरक्षण के नियों का पालन नहीं किया गया। अगर किसी ओबीसी अभ्यर्थी ने सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी से अच्छे अंक लाए, तो भी उसे ओबीसी श्रेणी में ही रखा गया। इससे ओबीसी वर्ग का नुकसान हुआ। ऐसा ही एससी-एसटी मामले में भी किया गया। नियम के अनुसार अगर किसी ओबीसी अभ्यर्थी ने अधिक अंक लाए, तो उसे सामान्य श्रेणी में मान कर भर्ती की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट के इस फैसले से उप्र की राजनीति में भूचाल आ गया है। अखिलेश यादव ने कहा कि पिछड़ों की हकमारी की कोशिश बेनकाब हो गई है। भाजपा के सहयोगी दलों में अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने भी हाईकोर्ट के फैसले का सावगत किया है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ये लड़ाई बहुत लंबी लड़ी है। मैं कोर्ट का धन्यवाद देता हूं… सरकार को भी अधिकारों को नहीं छीनना चाहिए। ये अधिकार संविधान से मिला है, तीन महीनों में जो संघर्ष रहा है पिछड़ों का वो कामयाब होगा। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा– 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आरक्षण व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वाली भाजपा सरकार की साजिशों को करारा जवाब है। यह 5 वर्षों से सर्दी, गर्मी, बरसात में सड़कों पर निरंतर संघर्ष कर रहे अमित मौर्या जैसे हज़ारों युवाओं की ही नहीं, सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले हर योद्धा की जीत है। आरक्षण छीनने की भाजपाई ज़िद ने सैकड़ों निर्दोष अभ्यर्थियों का भविष्य अंधकार में धकेल दिया है। पांच साल ठोकरें खा कर बर्बाद होने के बाद जिनको नई सूची के ज़रिए नौकरी मिलेगी और जिनका नाम अब चयनित सूची से कट सकता है, दोनों की ही गुनहगार सिर्फ भाजपा है। ‘पढ़ाई’ करने वालों को ‘लड़ाई’ करने पर मजबूर करने वाली भाजपा सरकार सही मायने में युवाओं की दुश्मन है।
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अपना दल (एस) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक्स पर लिखा-“69000 शिक्षक भर्ती मामले में माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत है। खुद पिछड़ा वर्ग आयोग ने माना था कि इस भर्ती मामले में आरक्षण नियमों की अनदेखी हुई। अब जबकि हाईकोर्ट ने आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन करते हुए नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है, तब उम्मीद करती हूं कि वंचित वर्ग के प्रति न्याय होगा।
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