व्यंग़्य-साहित्य के सुख्यात कवि पद्मश्री डा रवीन्द्र राजहंस की कविताएं, पत्थर-हृदय वाले लोगों पर छेनी चलाती हैं। कोमल-मन को गुदगुदाती है तो चिकोटी भी काटती है। मर्म पर सीधे आघात भी करती है और दिलों में चूभती भी हैं। उनका व्यंग्य, आज के मंचों पर हास्य-कवि-सम्मेलनों के नाम पर, मसखरों द्वारा की जा रही मसखरी नहीं, बल्कि समाज की विद्रुपताओं पर गंभीर साहित्यिक हस्तक्षेप करता है।
यह विचार आज यहां साहित्य सम्मेलन द्वारा, कवि राजहंस जी के 77वें जन्म-दिवस पर आयोजित अभिनंदन-समारोह की अध्यक्षता करते हुए,सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने व्यक्त किये। डा सुलभ ने कहा कि राजहंस जी के व्यंग्य-साहित्य का आयाम भी विस्तृत है। उनकी प्रसिद्ध रचना ‘ओ मेरे शतायु पिता’, एक ओर जहां, आज के कलियुगी पुत्रों की मनोवृति को दर्शाती है तो वहीं हमारे बुजुर्गों की दारुण-दशा को भी रेखांकित करती है। हास्य और व्यंग्य की सृजन-धर्मिता के जितने भी शास्त्रीय सूत्र माने जाते हैं, वे सभी राजहंस जी की रचनाओं में दिखते हैं। यह बिहार के लिये गौरव की बात है कि उनके जैसा समर्थ व्यंग्यकार यहां प्रतिष्ठित है।
इसके पूर्व डा राजहंस का वंदन-वस्त्र, पुष्प-गुच्छ तथा पुष्प-हार से सम्मेलन अध्यक्ष समेत उपस्थित विद्वानों द्वारा अभिनंदन किया गया।
इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने कहा कि, राजहंस जी हास्य और व्यंग्य साहित्य के प्रमाण-पुरुष हैं। यह साहित्य पाठकों-श्रोताओं को हँसाता ही नही, शिक्षा भी देता है।
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा ब्रह्मचारी सुरेन्द्र कुमार ने अपना मंगल-भाव व्यक्त कर्ते हुए कहा कि राजहंस जी संवेदनशील व्यक्ति और कवि हैं। उन्होंने कहा कि जब समाज की सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में विसंगति देखता है तो राजहंस जैसा कवि व्यंग्य भी लिखता है तो उसमें उसकी संवेदना दिखाई देती है।
कवि सत्य नारायण ने कहा कि राजहंस जी व्यंग्य के कवि तो हैं ही व्यंग्य के गद्यकार भी हैं। इन्हें व्यंग्य विधा का विशिष्ट साहित्यकार कहा जाना चाहिये। पद्मश्री गोपाल प्रसाद, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त, पं शिवदत्त मिश्र, डा बजरंग वर्मा, सत्य नारायण, प्रो आरती राजहंस, बलभद्र कल्याण, शायर आरपी घायल, राज कुमार प्रेमी, डा मेहता नगेन्द्र सिंह, डा विनय कुमार मंगलम, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, डा विनोद शर्मा, श्रीकान्त सत्यदर्शी, डा उपेन्द्र राय, रमेश कवँल, विधायक ललन पासवान, पूर्व विधायक लाल बाबू लाल, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, नाशाद औरंगावादी, सुमन मल्लिक, कौसर कोलहुआ कमालपुरी, डा लक्ष्मी सिंह, राज कुमार प्रेमी, अमियनाथ चटर्जी, फ़िरोज हसन, विश्व मोहन चौधरी संत, बांके बिहारी साव, सुनील सिंह छविराज तथा इस कार्यक्रम के संयोजक राकेश कुमार सिन्हा ने भी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।