87 अमेरीकी कृषि संघों ने किसान आंदोलन का किया समर्थन

स्वीडन की 18 साल की ग्रेटा थनबर्ग के भारतीय किसानों के समर्थन का मामला खत्म भी नहीं हुआ है कि अमेरिका के 87 कृषि संघों ने किसान आंदोलन का किया समर्थन।

कुमार अनिल

तीन कृषि कानूनों को रद्द करने तथा एसएसपी के लिए कानून बनाने की मांग पर देश में चल रहे किसान आंदोलन के पक्ष में आज अमेरिका के 87 किसान संगठनों, एग्रोइकोलॉजी और जस्टिस ग्रुपों ने बयान जारी किया है।

इन संगठनों ने भारत के आंदोलनकारी किसानों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए बयान में कहा कि भारत के किसानों ने दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा किसान आंदोलन खड़ा किया है।

अमेरिकी संगठनों ने भारत और अमेरिकी दोनों सरकारों से मांग की है कि किसान परिवारों के हितों की रक्षा के साथ ही खाद्य सुरक्षा प्रणाली को खत्म नहीं किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की कीमत पर, खाद्य सुरक्षा प्रणाली की कीमत पर आर्थिक सुधार नहीं होना चाहिए। इससे करोड़ों लोगों के सामने भूख और आजीविका का संकट उत्पन्न हो जाएगा।

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अमेरिकी कृषि संगठनों ने कहा कि खुद अमेरिका में रीगन शासनकाल किसानों के लिए विध्वंसकारी साबित हुआ। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की कीमत पर बाजार खोलने से दुनिया की बड़ी आबादी संकट में है। इस तरह किसानों के कृषि उत्पादों पर खास वर्ग का कब्जा हो जाएगा, जो खाद्य सुरक्षा के लिए भी घातक होगा।

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किसान आंदोलन के पक्ष में इस तरह खुलकर अमेरिकी कृषि संगठनों के सामने आने पर अब तक देश में चल रहे किसान आंदोलन के मंच संयुक्त किसान मोर्चा ने कोई बयान नहीं दिया है। अब देखना है कि क्या 87 संगठनों के समर्थन पर भी सवाल उठते हैं या नहीं।

इधर आज भी किसान संयुक्त मोर्चा के नेताओं ने देश के विभिन्न प्रांतों में अपना अभियान जारी रखा। राकेश टिकैत ने कई महापंचायत करने की घोषणा की है, जो अधिकतर पंजाब -हरियाणा से बाहर के स्थल हैं।

By Editor


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