वक्फ एक्ट में संशोधन बिल पर केंद्र की एनडीए सरकार फंस गई है। विपक्षी दलों तथा बाद में सहयोगी दलों के दबाव के आगे भाजपा को झुकना पड़ा और उसने मामले को जेपीसी के पास भेज दिया। अब खबर है कि बिल पर मुस्लिम समुदायक के संगठनों तथा व्यक्तिगत स्तर पर आठ लाख से ज्यादा पिटिशन मिल चुके हैं। इस मामले में भाजपा बिल्किल अलग-थलग पड़ गई है। रोज हजारों ई-मेल पहुंच रहे हैं। इन्हें पढ़ना तथा खास बातों को नोट करना जेपीसी के लिए परेशानी वाला कार्य बन गया है।
इधर मुस्लिम समाज में वक्फ एक्ट में सोशधन के सवाल पर भारी विरोध देखा जा रहा है। बड़ी बात यह कि जिन लोगों ने सोचा था कि इस सवाल पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करके राजनीतिक रोटी सेंकी जाएगी या भू-माफिया सहित जिन लोगों की वक्फ संपत्ति पर नजर थी, उनकी मंशा पर पानी फिर गया है। चूंकि भाजपा को छोड़ कर लगभग सभी दलों ने वक्फ एक्ट में संशोधन का विरोध कर दिया है, इसलिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं हो सका।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फिर सरकार से कहा कि वह वक्फ एक्ट में संशोधन का बिल वापस ले। संगठन ने इसे भारतीय संविधान द्वारा दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया।
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वक्फ एक्ट में संशोधन वाले बिल का कई स्तरों पर विरोध हो रहा है। विभिन्न दलों, मुस्लिम संगठनों तथा व्यक्तिगत विरोध स्वरूप जेपीसी को ई-मेल भेजे जाने के अलावा सोशल मीडिया पर भी विरोध और मामले में जागरूकता के लिए अभियान चल रहे हैं। सोशल मीडिया एक्स पर क्यूआर कोड जारी किए गए हैं, जिसे स्कैन करके विरोध दर्ज किया जा रहा है। हालत यह है कि जम्मू-कश्मीर तथा हरियाणा में विधानसभा चुनाव प्रचार शुरू हो गया है, लेकिन भाजपा वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को मुद्दा बनाने की हिम्मत नहीं कर पा रही है।