9 वर्षों तक गुजरात से राज्य निकाला झेल रहे आईपीएस डीजी वंजारा की घर वापसी हुई है लेकिन अब भी उन पर 8 लोगों की हत्या के आरोप हैंजिनमें सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी, तुलसीराम प्रजापति, सादिक़ जमाल, इशरत और उसके साथ मारे गए तीन अन्य लोग शामिल हैं.
अदालत ने वंजारा पर से गुजरात में कदम रखने पर लगी पाबांदी हटा ली है.
डीजी वंजारा 1987 बैच के गुजरात काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. गुजरात पुलिस में उनकी छवि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की रही है.
वे पहले क्राइम ब्रांच में थे और बाद में गुजरात एटीएस यानी एंटी टैररिस्ट स्क्वाड के मुखिया रहे. उसके बाद पाकिस्तान सीमा से सटी बॉर्डर रेंज के आईजी रहे.
वंज़ारा को 2007 में गुजरात सीआईडी ने गिरफ़्तार किया था और उसके बाद वे जेल गए. उन पर अभी आठ लोगों की हत्या का आरोप है, जिनमें सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी, तुलसीराम प्रजापति, सादिक़ जमाल, इशरत और उसके साथ मारे गए तीन अन्य लोग शामिल हैं.
इनके एनकाउंटर के बाद क्राइम ब्रांच ने सफ़ाई दी थी कि ये सभी पाकिस्तानी आतंकी थे और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की जान लेना चाहते थे. बाद में कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जाँच हुई, तो साबित हुआ कि ये सभी एनकाउंटर फ़र्ज़ी थे.
सितंबर 2014 में मुंबई की एक अदालत ने वंज़ारा को सोहराबुद्दीन, तुलसीराम प्रजापति के फर्जी मुठभेड़ मामले में ज़मानत दे दी थी.
9 वर्षों बाद गुजरात में कदम रखने के बाद वंजारा ने राजनीतिज्ञों की भाषा बोलनी शुरू कर दी है. उन्होंने केंद्र सरकार को राष्ट्रवादी सरकार बताते हुए कहा कि वह रिटायरमेंट के बाद समाज सेवा की इच्छा रखते हैं.
बीबीसी केेे अनुसार वंजारा पर अब भी आठ लोगों की हत्या का आरोप है.