लालू प्रसाद के साथ शहाबुद्दीन की एक यादगार फोटो

राजद के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को 49 वें मामले में जमानत मिल चुकी है. अब वह बाहर आ सकते हैं. 9 वर्षों तक सलाखों के अंदर रहने वाले शहाबुद्दीन के बारे में जानिये 9 महत्वपूर्ण बातें.

लालू प्रसाद के साथ शहाबुद्दीन की एक यादगार फोटो
लालू प्रसाद के साथ शहाबुद्दीन की एक यादगार फोटो

नौकरशाही रिसर्च

एक-

अपराध की दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाल 50 वर्षी शहाबुद्दीन ने लगातार दो बार विधायक और चार बाल लोकसभा चुनाव जीता था. 1990 में पहली बार वे चुनाव जीते थे तब उनकी उम्र 25 साल थी.

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दो-

उस वक्त तक लालू प्रसाद के साथ उनका कोई खास पालिटकल नजदीकी नहीं थी. 1995 आते आते शहाबुद्दीन लालू के करीब आये और फिर चुनाव जीता. लेकिन उसके तुरंत बाद 1996 में उनकी महत्वकांक्षा उन्हें लोकसभा में ल गयी.

तीन-

शहाबुद्दीन के खिलाफ पहला आपराधिक मामला 1986 में दर्ज किया गया. तब उनकी उम्र 19 वर्ष थी. तब वह कालेज में पढ़ते थे.इस दौर में शहाबुद्दीन का राजीनिक रसूख काफी बढ़ चुका था. और उन्हीं दिनों लालू प्रसाद की सरकार संकट में आ गयी थी.

चार-

1997 आते आते लालू प्रसाद के ऊपर चारा घोटाला के आरोप लगे थे. तब उनकी सरकार संकट में थी. इसी दौरान शहाबुद्दीन ने उनकी सरकार को बचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पांच-

इसके बाद शहाबुद्दीन न सिर्फ राजनीतिक रूप से बहुत शक्तिशाली हुए बल्कि उन पर यह भी आरोप लगने लगा कि सीवान में उनकी सामानांतर सरकार चलती है. डीएम, एसपी तक उनके इशारों पर काम करने के आरोप लगे. 2001 में एक स्थानीय राजद नेता मनोज कुमार पप्पू के खिलाफ वारंट की तामील करने पहुंचे पुलिस अधिकारी  पर तमाचा जड़ने का आरोप लगा.

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छह-

प्रतापपुर गोलीकांड- इसी घटना के बाद शहाबुद्दीन के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस की मदद से शहाबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई की इस दौरान पुलिस और शहाबुद्दीन के शूटरों के बीच घंटो गोलीबारी होती रही.

सात-

शहाबुद्दीन के ऊपर हत्या, अपहरण, मारपीट, के दर्जनों मामले दर्ज हुए. अनेक मामलों में अदालत ने उन्हें सजा सुनाई. एक युवक को एसिड से नहला कर मार देने के आरोप में स्थानीय अदालत ने सजा सुनाई थी.

आठ-

जेल में रहने के दौरान भले ही शहाबुद्दीन की ताकत काफी कम हो गयी लेकिन वह इस पीरियड में हमेशा राजद के लिए महत्वपूर्ण रहे. उनकी गैरमौजूदगी में पार्टी उनकी पत्नी को चुनाव में टिकट देती रही लेकिन वह दो बार चुनाव हार गयीं.

नौ-

हाल ही में राजद के पुनर्गठन के बाद शहाबुद्दीन को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया, मतलब राजद में अब भी उनकी गहरी पैठ जगजाहिर हैं.

शहाबुद्दीन इन आपराधिक मामलों में 9 वर्षों तक जेल में रहे. इस दौरान उन्हें 49 मामलों में अदालत का चक्कर लगाना पड़ा. इन तमाम मामलों में अब उन्हें बेल मिल गयी है. माना जा रहा है कि वह जल्द ही जमानत पर रिहा हो जायेंगे.

By Editor


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