एनडीए सरकार में बेलगाम अपराध के कारण बिहार की छवि को भारी नुकसान पहुंचा है। इस स्थिति में बाहर से पूंजी निवेश करने वाले कैसे आएंगे। राजद प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी एवं आरजू खान ने कहा कि भाजपा और जदयू के नकारात्मक और दुष्प्रचार की राजनीति का खमियाजा आज बिहार को भुगतना पड़ रहा है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। सुशासनी सरकार और पुलिस हुक्मरानों द्वारा अपराध नियंत्रण पर हर दावे और उच्च स्तरीय समीक्षा के बाद भी राज्य में हत्या, अपहरण,  लूट, डकैती, छेड़खानी और बलात्कार की एक श्रृंखला सी बन गई है। अब तो घर के अन्दर भी लोग अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। राह चलते सरेयाम गोली मार दी जा रही है, विद्यालय का कैम्पस भी अछूता नहीं रहा।

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि राज्य की वर्तमान सरकार का बुनियाद हीं दुष्प्रचार, झूठे दावे और नकारात्मक सोच पर टिका हुआ है। 1990 में लालू प्रसाद जी जब बिहार के मुख्यमंत्री बने थे उस समय बिहार का क्राइम रेट 145 था और जब राबड़ी देवी जी 2005 में मुख्यमंत्री पद छोड़ी उस समय बिहार का क्राइम रेट 108 था। स्पष्ट है कि राजद शासन काल में आपराधिक घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई। बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी तो क्राइम रेट 108 से बढ़कर 224 तक पहुंच गई। वास्तविक स्थिती तो यह है कि राजद शासनकाल की तुलना मे एनडीए शासनकाल में सभी प्रकार के अपराधों में तीन से चार गुना की बढोत्तरी हुई है। विशेष कर महिलाओं के खिलाफ अपराध में तो अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

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राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार सरकार और एनसीआरबी के आंकड़ों को हीं आधार मान लिया जाए तो राजद शासनकाल मे प्रतिघंटा औसत 11 संज्ञेय अपराध दर्ज होते थे वहीं एनडीए की सरकार में दर्ज होने वाली संज्ञेय अपराध की संख्या प्रतिघंटा औसत 21 यानी राजद शासनकाल से लगभग दुगुना हो गया। बलात्कार की घटनाओं में सौ प्रतिशत बढोत्तरी के साथ प्रतिदिन 4 मामले दर्ज हुये जबकी राजद शासनकाल में प्रतिदिन का औसत 2 है। राजद शासनकाल में प्रतिदिन अपहरण की औसतन 4 घटनाएं दर्ज हैं वहीं एनडीए शासनकाल में चैगुना वढोत्तरी के साथ प्रतिदिन औसत 16 घटनायें दर्ज हुईं है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि राजद शासनकाल में रिकवरी रेट जहाँ 97 प्रतिशत था वहीं एनडीए शासनकाल में वह घटकर 43 प्रतिशत हो गया यानी 57 प्रतिशत अपहृतों की हत्या कर दी गई। सरकारी आँकड़े के अनुसार एनडीए शासनकाल में औसतन प्रतिदिन 9 लोगों की हत्या कर दी जाती है। राजद शासनकाल में चोरी की घटना प्रतिदिन औसत के हिसाब से जहाँ 28 है वहीं एनडीए शासनकाल में 58 यानी दुगुना से भी ज्यादा है। दंगा-फसाद के मामले भी राजद के 22 की तुलना में एनडीए काल में 28 मामले औसतन प्रतिदिन दर्ज हुए हैं।

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By Editor


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