भले ही कुछ लोगों को यह खबर हैरतअंगेज लगे लेकिन हुआ ऐसा ही है कि अपने 90 वर्ष के इतिहास में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने पहली बार शनिवार को मुस्लिम देशों के राजनयिकों को इफ्तार पार्टी दी।
नई दुनियाडॉट जागरण डॉट कॉम की खबर के मुताबिक इस अवसर पर आरएसएस की मुस्लिम शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक और संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता इंद्रेश कुमार ने कहा कि लोगों को दूसरों की धार्मिक भावनाओं का आदर करना चाहिए।
संसद के उपभवन में आयोजित इस दावत के दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा कि विभिन्न धर्मों के लोगों को एक दूसरे का विरोध करने की बजाय आपस में सहयोग करना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने पवित्र कुरान के कुछ अंशों को भी उद्धृत किया और कहा कि ईश्र्वर का मूल संदेश शांति और सौहार्द है। उन्होंने कहा कि सबकी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान होना चाहिए। इस्लाम का मुख्य संदेश शांति और सौहार्द्र है।
आयोजकों के अनुसार इफ्तार की दावत में मिस्र सहित विभिन्न मुस्लिम देशों के नुमाइंदे मौजूद थे। सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने इस आयोजन में शिरकत की। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से हिंदूवादी संगठनों को उनके “घर वापसी” और “लव जेहाद” जैसे उग्र कार्यक्रमों के कारण खासी आलोचना झेलनी पड़ी है।
आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी. उसे एक हिंदू संस्कृतिवाद का प्रतीक माना जाता रहा है जिसकी बुनियाद इस्लाम विरोधी मानी जाती है. लेकिन इफ्तार पार्टी जैसे इस्लामी आयोजन करके आरएसएस ने अपने नये चेहरे को पेश किया है, ऐसा माना जा रहा है. संभव है कि उसके इस फैसले पर अब कई तरह से बहस छिड़ सकती है.
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