#आरक्षण_बचाओ मुहिम ने मचाया धमाल,लाख से ज्यादा ट्विट
बजट प्रावधानों में सरकारी कम्पनियों को निजी हाथों में सौंपने की केंद्र के फैसले से आरक्षण खत्म होने के खिलाफ #आरक्षण_बचाओ मुहिम ने ट्विटर पर धमाल मचा दिया.
ट्विटर पर आज सुबह शुरू हुई मुहिम में आम लोगों के इस प्रयास में तेजस्वी यादव भी कूद पड़े. उन्होंने लिखा कि निजीकरण के पीछे सरकार का मक़सद है क्रोनी कैपिटलिज्म बढ़ाना और सामाजिक न्याय मिटाना।
तेजस्वी ने लिखा है कि सभी सरकारी संस्थानों को बेचकर सरकारी नौकरियाँ भी ये प्राइवेट कर देंगे तथा निजी क्षेत्र में आरक्षण भी लागू नहीं करेंगे। #आरक्षण_बचाओ
गौरतलब है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं व पत्रकारों ने आज सुबह इस मुहिम को शुरू किया और देखते देखते #आरक्षण_बचाओ पर हजारों ट्वीट हो गये.
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वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा कि जाटों ने आरक्षण माँगा। शूट एट साइट हो गया। लोग मारे गए। गुर्जर आरक्षण आंदोलन में भी लोग मरे। पाटीदार आंदोलन और मराठा आरक्षण आंदोलन में भी जानें गईं। महीनों आंदोलन चले। लेकिन सवर्ण EWS आरक्षण 48 घंटे में पास। यही जातिवाद है।
समाज विज्ञानी संजय यादव ने इस बारे में कहा कि आरक्षण के बावजूद देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 1125 प्रोफेसरों में से सिर्फ 9 OBC, 39 SC और 8 ST प्रोफेसर हैं। आरक्षण कागज़ पर है, व्यवहार में नहीं। आरक्षण का लाभ पाने के वंचित वर्गों को लड़ना पड़ेगा, आरक्षण विरोधियों को गद्दी से उतारना पड़ेगा। #आरक्षण_बचाओ
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्र शेखर आजाद ने भी इस मुहिम में शामिल होते हुए ट्विट किया कि आरक्षण हिस्सेदारी का मामला है अर्थात जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। यह सभी वर्गों की राजकाज में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की संवैधानिक योजना है। #आरक्षण_बचाओ
वहीं हंसराज मीणा ने इसी हैशटैग से अभियान को आगे बढाते हुए लिखा कि यूपीएससी में लैटरल एंट्री और रेलवे निजीकरण के नाम पर सरकारी नौकरी व संवैधानिक आरक्षण को खत्म किया जा रहा हैं। जागिये।
#आरक्षण_बचाओ हैशटैग पर महज चार घंटे में सवा लाख लोगों ने ट्विट किया है. और यह नम्बर वन ट्रेंड पर चल रहा है.
गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने पिछले दिनों 2020-2021 के लिए प्रस्तावित बजट में सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने का प्रस्ताव रखा है. पहले से ही एलआई, बीएसएनल, रेलवे, एयर इंडिया जैसे उपक्रमों को बेचने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जैसे ही ये सरकारी उपक्रम निजी हाथों में जाते हैं वहां से आरक्षण खत्म कर दिया जाता है. ऐसे में आरक्षण का दायरा सीमित करने की रणनीति के तहत इस फैसले को देखा जा रहा है. आरक्षण को अधिकार मानने वाले सामाजिक ग्रूपों की आपत्ति इसी बात को ले कर है कि उनका आरक्षण खत्म करने की कोशिश लगातार जारी है.
किसने क्या कहा
लंकेश ने लिखा- निजीकरण, आरक्षण को समाप्त कर देगा. दीपिका सिंह ने लिखा मोदी सरकार आरक्षण समाप्त करने पर तुली है. कोमल मीणा ने लिखा कि लिटरल बहाली और निजीकरण आरक्षण को खत्म करने के हथियार बन गये हैं.
डॉ. मीणा अन्न दाता ने लिखा यूपीएससी में लैटरल एंट्री और रेलवे निजीकरण के नाम पर सरकारी नौकरी व संवैधानिक आरक्षण को खत्म किया जा रहा हैं। जागिये। AL Meena ने लिखा सरकार को तत्काल निजी क्षेत्र में आरक्षण का क़ानून लाना चाहिए। ये सबसे प्रमुख माँग है। निजी क्षेत्र सरकार से मिली सस्ती ज़मीन, सस्ते लोन और टैक्स छूट पर ही तो पल रहे हैं।