1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए अब्दुल हमीद को कौन नहीं जानता। उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उप्र के गाजीपुर में स्कूल के द्वार पर उनका नाम मोटे अक्षरों में लिखा था। जानकारी मिली है कि उनका नाम मिटा कर पीएमश्री स्कूल लिखा जा रहा था। शहीद के नाम पर खुले स्कूल का नाम बदलने की खबर स्थीनय अखबारों में प्रकाशित होने से लोगों में रोष फैल गया। इसी बीच मामला सोशल मीडिया में आ गया। लोगों ने शहीद का नाम मिटाने पर आपत्ति जताई। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी विरोध किया। विरोध बढ़ता देख प्रशासन ने नाम नहीं मिटाने का निर्णय लिया। विरोध बढ़ने पर प्रशासन ने स्कूल के मुख्य द्वार पर फिर से अब्दुल हमीद का नाम लिखा तथा पीएम श्री स्कूल नीचे लिखा गया। फिर से शहीद का नाम मुख्य द्वार पर लिखे जाने के बाद लोगों ने संतोष जताया है।
विभिन्न राज्यों की भाजपा सरकारें मुस्लिम नायकों के नाम पर बनीं सड़के, भवन का नाम पहले भी बदला है। यहां तक कि उर्दू नाम वाले जिलों और शहरों का नाम भी बदला गया है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि ये बेहद निंदनीय और अशोभनीय है कि देश के लिए शहीद होने से अधिक महत्व किसी और को दिया जा रहा है। अब बस यही बाक़ी है कि कुछ लोग देश का नाम ‘भारत’ की जगह ‘भाजपा’ रख दें। जिन्होंने न आज़ादी दिलाने में कोई भूमिका निभाई, न ही आज़ादी बचाने में वो शहीदों का महत्व क्या जानें।।
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