सभी राजनीतिक दलों द्वारा खुद को पाक-साफ बताने के तमाम दावों के बीच लोकसभा चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार तथा करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है तथा इस चुनाव में भी ऐसे उम्मीदवारों का दबदबा कायम रहा जिनमें सबसे ज्यादा भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के टिकट पर खड़े हैं।
वर्ष 2009 के चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार 15 प्रतिशत थे जिनकी संख्या इस चुनाव में बढ़कर 19 प्रतिशत हो गयी। इस प्रकार इसमें चार प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस मामले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी 40 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है जबकि 39 प्रतिशत के साथ मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस उसके बिल्कुल करीब है।
करोड़पति उम्मीदवारों का अनुपात 2009 के 16 प्रतिशत से बढ़कर 2019 में 29 प्रतिशत पर पहुँच गया है। इस मामले में भी भाजपा और कांग्रेस 83-83 प्रतिशत के साथ बिल्कुल बराबरी पर है।
एसोसिएशन पर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 17वीं लोकसभा चुनाव के 8,049 उम्मीदवारों में से 7,928 उम्मीदवारों के हलफनामों के विश्लेषण के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। एडीआर के प्रो. जगदीप चोकर ने यहाँ सोमवार को यह रिपोर्ट जारी करते हुये संवाददाताओं को बताया कि 2009 के मुकाबले 2014 और 2014 के मुकाबले 2019 में लगातार राजनीतिक दलों के साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार, गंभीर आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार और करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है।
उन्होंने बताया कि इस चुनाव में 1500 उम्मीदवार (यानी 19 प्रतिशत) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं। इनमें 1070 यानी 13 प्रतिशत ऐसे हैं जिनके खिलाफ गंभीर अपराधों के मामले होने का रिकॉर्ड है। गंभीर अपराधों में हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराध आते हैं। गंभीर अपराध वाले उम्मीदवारों की संख्या 2009 के चुनाव में 608 (आठ प्रतिशत) और 2014 में 908 (यानी 11 प्रतिशत) थी।
प्रो. चोकर ने बताया कि इस बार 56 ऐसे उम्मीदवार हैं जो अदालत द्वारा दोषी ठहराये जा चुके हैं। जिन उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं उनमें 55 पर हत्या का, 184 पर हत्या के प्रयास का, 126 पर महिलाओं के प्रति अपराध का, नौ पर बलात्कार का और 47 पर अपहरण का मामला है। वहीं 95 उम्मीदवारों ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज है।