किसी के जिस्म से लिपटी थीं ख्वाब मे आंखें नजर/ गुनाह में थी और सवाब में आंखें, तुराज की गजलों से झूम उठा पटना

किसी के जिस्म से लिपटी थीं ख्वाब मे आंखें/ नजर गुनाह में थी और सवाब में आंखें, तुराज की गजलों से झूम उठा पटना

बॉलिउड गीतकार और शायर एएम तुराज की गजलों की महफिल ने अजीमाबाद (पटना) की साहित्यिक परम्परा को जीवंत बना दिया. एडवांटेज सोर्ट के इस कार्यक्रम का आयोजन बिहार म्युजियम सभागार में हुआ.

तुराज ने अपनी बेहतरीन गजलों को तरन्नुम के साथ पेश किया. उनकी सुरीली आवाज ने उनकी गजलों को और भी सुरीली बना गयी. तुराज ने अपनी गजल का जब ये शेर सुनाया तो तालियों गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा-

किसी के जिस्म से लिपटी थीं ख्वाब मे आंखें

नजर गुनाह में थी और सवाब में आंखें

जो उसके चेहरे को देखा था यूं लगा जैसे

के टांक दी है खुदा न गुलाब में आंखें

इसी तरह तुराज की अनेक गजलों के शेरों पर लोग वाह वाह करते रह गये. उनका यह शेर भी खूब सराहा गया

 

ठहरे हुए एहसास का मंजर नहीं आया

मुद्दत से हूं सफर में मगर घर नहीं आया[box type=”shadow” ][/box]

इस कार्यक्रम का आयोजन एडवांटेज सपोर्ट ने किया था. इस अवसर पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी तुराज की नज्मों और गजलों के कायल हुए. इससे पहले एडवांटेज सपोर्ट के अध्यक्ष डॉ. एए हई ने साहित्य के महत्व पर रौशी डाली और क्युबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदल कास्त्रो को याद करते हुए कहा कि कास्त्रो कहा करते थे कि सांस्कृतिक गतिविधियां इंसान को जीवंत बनाती हैं.

कार्यक्रम की शुरुआत में ओबैदुर्रहामन ने इस प्रोग्राम की रूपरेखा पेश की और बाताया कि एडवांटेज सपोर्ट के निदेशक खुरशीद अहम लगातार दो सालों से लिट्रेरी फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं और उनकी कोशिश है कि जयपुर फेस्टिवल की तरह एडवांटेज लिट्रेरी फेस्टिवल भी देश भर में जाना जायेगा.

इस अवसर पर बिहार म्युजम के डायरेक्टर  मोहम्मद यूसुफ ने कहा कि बिहार म्युजियम का उद्देश्य है कि साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के हर प्रयासस को जबूत किया जाये.

करीब तीन घंटे चले इस कार्यक्रम के अंत में एडवांटेज ग्रूप के निदेशक खुरशीद अहमद ने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया.

 

By Editor


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