जनहित याचिकाओं की जननी (public interest litigation) के नाम से जानी जाने वाली पुष्पा कपिला हिंगोरानी सुप्रीम कोर्ट के 67 सालों के इतिहास में पहली महिला हैं, जिनकी तस्वीर को कोर्ट की लाइब्रेरी में जगह देने का फैसला हुआ है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार उनकी रंगीन तस्वीर कानून की दुनिया के चर्चित नामों – एमसी सीतलवाड़, सीके दफ्तरी और आरके जैन की तस्वीरों के साथ लगाई जाएगी.
नौकरशाही डेस्क
हालांकि कपिला हिंगोरानी को ये सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है, मगर उनकी तस्वीर जारी करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ये काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था. साउथ अफ्रीकी सबकॉन्टिनेंट के देश केन्या की राजधानी नैरोबी में जन्मी कपिला हिंगोरानी देश की पहली महिला वकील रहीं, जिन्होंने विचाराधीन कैदियों के हित में कानूनी सुधार के लिए अपनी तरफ से सराहनीय प्रयास किये.
इसी क्रम में उन्होंने साल 1979 में फैसले के इंतज़ार में पूरी ज़िंदगी जेल में बिता देने वाले कैदियों के लिए एक जनहित याचिका दायर की. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तकरीबन 40,000 उन कैदियों को जमानत दे दी, जो अब तक विचाराधीन थे. देश के कानून के इतिहास में ये अपने आप मे पहला मामला था.
कपिला हिंगोरानी ने कानून की शिक्षा इंग्लैंड से ली थी. बता दें कि इंग्लैंड से लॉ की पढ़ाई करने वाली वे पहली महिला थीं, जिन्होंने डिग्री लेने के बाद भारत में रह कर देश हित में काम करने को अपनी प्राथमिक दी. इस वजह से उन्हें 60 साल के अपने कार्यालय के दौरान अपने परिवार से भी दूर रहना पड़ा. कपिला हिंगोरानी का निधन साल 2013 में हुआ, जब वे 86 साल की थीं.