गांधीनगर सीट से बेदखल कर दिये जाने के बाद भाजपा के वरिष्ठत नेता लालकृष्ठ आडवाणी ने पहली बार जुबान खोली है. उन्होंने इशारों में भाजपा पर कब्जा जमाये नेताओं को नसीहत दी है.
आडवाणी ने एक ब्लॉग लिख कर अपने मन की पीड़ा व्यक्त करते हुए साफ लिखा है कि भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमारी राजनीतिक विचारधारा नहीं मानने वालों को हमने कभी भी देश विरोधी नहीं माना। पार्टी व्यक्तिगत और साथ ही राजनीतिक स्तर पर हर नागरिक की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है।
न्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि अपनी स्थापना से ही, भाजपा में जो लोग राजनीतिक रूप से हमारे विचार को नहीं मानते, ऐसे लोगों को हम अपना दुश्मन नहीं बल्कि अपने विपक्षी के तौर पर देखते हैं।
आडवाणी ने हालांकि गांधीनगर सीट से इसबार बेदखल करने के बारे में कोई प्रत्यक टिप्पणी तो नहीं की लेकिन गांधीनगर के मतदाताओं के प्रति अपना आभार प्रकट करते हुए लिखा है कि मैं गांधीनगर के लोगों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जिन्होंने 1991 के बाद छह बार मुझे लोकसभा के लिए चुना। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे हमेशा अभिभूत किया है। मातृभूमि की सेवा करना मेरा जुनून और मेरा मिशन है। जब से मैंने 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ज्वाइन किया है।
उन्होंने लिखा कि यह मेरी दिल से इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। सच है, चुनाव लोकतंत्र का त्योहार है।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आनेवाली 6 अप्रैल को भाजपा के स्थापना दिवस को लेकर एक ब्लॉग लिखा। उ
भारतीय राष्ट्रवाद की हमारी अवधारणा में, हमारी राजनीतिक विचारधारा नहीं मानने वालों को हमने कभी भी देश विरोधी नहीं माना। पार्टी व्यक्तिगत और साथ ही राजनीतिक स्तर पर हर नागरिक की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने लिखा कि यह मेरी दिल से इच्छा है कि हम सभी को सामूहिक रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। सच है, चुनाव लोकतंत्र का त्योहार है।
अपने ब्लॉग में लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा कि मैं गांधीनगर के लोगों के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं, जिन्होंने 1991 के बाद छह बार मुझे लोकसभा के लिए चुना। उनके प्यार और समर्थन ने मुझे हमेशा अभिभूत किया है। मातृभूमि की सेवा करना मेरा जुनून और मेरा मिशन है। जब से मैंने 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ज्वाइन किया है।
मेरा राजनीतिक जीवन लगभग सात दशकों से मेरी पार्टी के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ा रहा है। पहले भारतीय जनसंघ के साथ और बाद में भारतीय जनता पार्टी। मैं दोनों का संस्थापक सदस्य रहा हूं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान, प्रेरणादायक और दिग्गजों के साथ मिलकर काम करना मेरा दुर्लभ सौभाग्य रहा है।
लाल कृष्ण आडवाणी ने लिखा कि मेरे जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत है – राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में, स्वयं अंत में। सभी परिस्थितियों में मैंने इस सिद्धांत का पालन करने की कोशिश की है और आगे भी करता रहूंगा। भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान है। पार्टी व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध है।
चुनावी फंडिंग और मीडिया की भूमिका पर दिखाया आईना
ऐसे समय में जब भाजपा समेत तमाम बड़ीं पार्टियों पर चुनावी फंडिंग के मामले में अनेक तरह के आरोप लगते रहे हैं. आडवाणी ने अपनी पार्टी के नेताओं को आईना दिखाते हुए कहा है कि भाजपा हमेशा मीडिया सहित हमारे सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, निष्पक्षता और मजबूती की मांग करने में सबसे आगे रही है। चुनावी सुधार, राजनीतिक और चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता हमारी पार्टी के लिए प्राथमिकता रही है।