आज तक किसी ने नहीं देखा था ऐसा रेल रोको आंदोलन
किसान आंदोलन नया इतिहास लिख रहा है। आज का रोल रोको आंदोलन भी याद किया जाएगा। यह भी जानना रोचक होगा कि अब सचमुच भाजपा की परेशानी बढ़ गई है।
कुमार अनिल
किसानों ने देशद्रोही, खालिस्तानी जैसे दुष्प्रचार की पहले ही हवा निकाल दी है। आज उन्होंने फिर नया इतिहास लिख दिया है। आज का रेल रोको आंदोलन खास दो बातों के लिए याद किया जाएगा। पहला यह कि आज किसानों ने देश को बता दिया कि कैसे आंदोलन चलाया जाता है, कैसे जन समर्थन हासिल किया जाता है। और दूसरा आज से पहले किसी ने नहीं देखा था कि इस तरह रेल पटरियों पर गद्दे लगाकर, टेंट लगा कर धरना दिया जा सकता है। उनका जोश सत्ता को चिंतित करनेवाला था।
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हमने देखा है कि रेल रोको आंदोलन के दौरान यात्री परेशान होते हैं। मीडिया एक एक वर्ग इसी बात को दिखाने में जुट जाता है कि लोग किस प्रकार रेल रोको आंदोलन से परेशान हुए। लेकिन मीडिया के इस हिस्से को ऐसा अवसर नहीं मिला। इसीलिए वे रेल रोको आंदोलन दिखाने के बजाय बंगाल चुनाव में कौन क्या बोल रहा है, इसे दिखाने में लगे रहे।
आज किसानों ने एक तरफ रेल पटरियों पर गद्दे लगाकर, टेंट लगा कर धरना दिया और दूसरी तरफ रेल यात्री परेशान न हों, इसलिए गुड़-चना और पानी लेकर खड़े रहे। दिल्ली के निकट मोदीनगर स्टेशन पर जब कोई ट्रेन नहीं आई, तो आंदोलनकारी किसानों ने पुलिसवालों, रेल कर्मियों और स्टेशन पहुंचे यात्रियों को गुड़-चने खिलाए। किसानों ने दूध का भी इंतजाम कर रखा था कि अगर किसी छोटे बच्चे को दूध की जरूरत हो, तो उसे दिया जा सके। किसानों का हंस-हंस कर गुड़-चना बांटते चित्र देखकर आंदोलन विरोधी लोग जरूर परेशान हुए होंगे।
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रेल पटरियों पर किसानों की भीड़ यह संदेश देने के लिए काफी थी कि अब यह आंदोलन दिल्ली की सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह गांवों में फैल चुका है।