मुस्लिम आरक्षण को लोकर एनडीए दो फाड़ हो गया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के बाद महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में शामिल अजीत पवार मुस्लिम आरक्षण पर अड़ गए हैं। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद उन्होंने तीखे तेवर दिखाए हैं। अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने कहा कि वह मुस्लिमों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के अपने विचार पर कायम है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता उमेश पाटिल ने भाजपा से दूरी दिखाते हुए यहां तक कहा कि शाहू, फुले, आंबेडकर की प्रगतिशील विचारधारा सिर्फ आरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी वर्गों तथा समाजों के समावेशी विकास तथा समानता पर जोर देती है। स्पष्ट तौर पर पार्टी ने हिंदू-मुसलमान की राजनीति से दूरी दिखाने की कोशिश की है, जिससे भाजपा की परेशानी बढ़ गई है।
मुस्लिम आरक्षण का सवाल एनडीए को बिखराव की तरफ ले जा रहा है। इसी साल महाराष्ट्र में विधानसभा का चुनाव है और एनडीए के गैर भाजपा दलों को अस्तितव का संकट दिखने लगा है। भाजपा से अलग दिखने की होड़ लग गई है। भाजपा नेतृत्व के होश उड़ गए हैं। पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह मुस्लिम आरक्षण समाप्त करने का दावा कर रहे थे, लेकिन एब भाजपा का कोई नेता बोलने को तैयार नहीं है।
अजीत पवार वाली एनसीपी ने जिस तरह मुस्लिम आरक्षण को जोरशोर से उठाया है, उससे माना जा रहा है कि पार्टी भाजपा से अलग होने की भूमिका तैयार कर रही है। अजीत पवार के फिर से चाचा शरद पवार के साथ मिलने की चर्चा भी तेज है। उधर एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना में भी घमासान है। कई विधायक उद्धव ठाकरे के संपर्क में है। विधानसभा चुनाव से पहले ही महाराष्ट्र में एनडीए बिखर सकता है।
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अजीत पवार चाहते हैं कि भाजपा मुस्लिमों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने के सवाल पर सहमति दे। पार्टी का कहना है कि मुस्लिमों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने पर हाईकोर्ट ने सहमति दे दी थी, लेकिन भाजपा के कारण इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुस्लिम आरक्षण पर कहा था कि शिक्षा संस्थानों में मुस्लिम आरक्षण दे सकते हैं, लेकिन नौकरियों में आरक्षण देने पर रोक लगाई थी। मुस्लिम आरक्षण के सवाल पर महाराष्ट्र की एनडीए सरकार कभी भी गिर सकती है। चुनाव नजदीक है, इसलिए माना जा रहा है कि एक दो महीने के भीतर ही सरकार गिर सकती है। ऐसा हुआ, तो ब्रांड मोदी को एक और बड़ा झटका लगेगा।