अलबेरूनी:एक महान सेक्युलर मुस्लिम मानवशास्त्री
अलबेरूनी ( 973-1048) बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी थे और फिरदौसी, अबू सीना और इब्न हैथाम के समकालीन थे. वह पहले इस्लामी विद्वान थे जिन्होंने हिंदू शास्त्र का विस्तृत अध्ययन पेश किया.
अलबेरूनी अफगानिस्तान में महमूद गजनी के दरबारी थे और भारत में उसके सैन्य अभियान के समय मौजूद थे. उन्होंने अपने भारत प्रवास के दौरान यहां की संस्कृति, धर्म, भाषा और अन्य विषयों का विस्तृत अध्ययन किया. उन्होंने अपने अध्ययन में भारत के अवाम के अलावा यहां के ब्रह्मणों और योगियों से काफी ज्ञान अर्जित किया.
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अलबेरूनी ने भारतीय संस्कृति का अध्ययन एक मुस्लिम के चश्मे से नहीं बल्कि यहां की संस्कृति में रचबस कर की. और इस तरह उन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को एक तरह से जी कर देखा और सीखा. अलबेरूनी ने बौद्धीज्म, सूफीज्म की बारीकियों को भी बखूबी समझा. अलबेरूनी के बारे में यह चर्चित है कि वह ज्ञान के ऐसे प्यासे थे जिन्होंने ज्ञान के स्रोत की परवाह किये बिना उसे अर्जित किया.
[box type=”note” ]अलबेरूनी ने भारतीय संस्कृति का अध्ययन एक मुस्लिम के चश्मे से नहीं बल्कि यहां की संस्कृति में रचबस कर की. और इस तरह उन्होंने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को एक तरह से जी कर देखा और सीखा. अलबेरूनी ने बौद्धीज्म, सूफीज्म की बारीकियों को भी बखूबी समझा. अलबेरूनी के बारे में यह चर्चित है कि वह ज्ञान के ऐसे प्यासे थे जिन्होंने ज्ञान के स्रोत की परवाह किये बिना उसे अर्जित किया.[/box]
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अलबेरूनी ने इस तथ्य समकालीन मुसलमानों के समक्ष प्रस्तुत किया कि एक ईश्वरवाद के दर्शन इतर के ज्ञान का भी अध्ययन करें. अलबेरूनी की इस धारणा ने आगे चल कर इस्लामिक शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन के मेथेडोलॉजी के नये दरवाजे खोले.
विभिन्न पंथों को एक सूत्र में पिरोने के अलबेरूनी का यह मार्ग मुस्लिम दुनिया में मचे आज के उथलपुथल व संकट के दौर में और भी उपयोगी हो गया है. इतना ही नहीं अलबेरूनी की यह दृष्टि आज के टकरावपूर्ण, असहिष्णु और गलतफहमियों के दौर में काफी महत्पूर्ण है.