वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक राज बिहार के नए DGP बनाए गए हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी बेहद कठिन समय में मिली है। अगले साल बिहार विधानसभा चुनाव है और राज्य में अपराध पूरी तरह बेलगाम हो चुका है। कोई दिन बिना हत्या, लूट और रेप के नहीं गुजर रहा। राज्य सरकार की भारी बदनामी हो रही है। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। नीतीश सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। माना जा रहा है कि नए डीजीपी के लिए किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं है।
नए डीजीपी आलोक राज ने शुक्रवार को पदभार ग्रहण किया। वे 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे इससे पहले विजिलेंस इनवेस्टिगेशन ब्यूरो के डायरेक्टर जनरल थे। उनका कार्यकाल 31 दिसंबर, 2025 तक होगा। यानी उन्हीं के डीजीपी रहते बिहार विधानसभा का चुनाव होगा।
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बिहार में 18 साल से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं, लेकिन पहली बार उनके राज में अपराधी बेलगाम हो गए हैं। पुलिस प्रशासन असहाय दिख रहा है। पटना में दिन-दहाड़े लूट की घटनाएं हो रही हैं। दो दिन पहले विधायक की पत्नी के गले से सोने का चेन छीन कर अपराधी फरार हो गए। हत्या, लूट बलात्कार की घटनाएं रोज-ब-रोज हो रही हैं। नीतीश कुमार की वह पुरानी छवि अब पूरी तरह ध्वस्त हो गई है कि उनके रहते अपराध नहीं बढ़ सकता। अब देखना है कि नए डीजीपी किस प्रकार अपराध को रोकने की नई पहल करते हैं। कैसे पुलिस महकमे में अपराध को रोकने की योजना और रणनीति बनाते हैं। सबको उनकी पहली घोषणा का इंतजार है। पूर्व डीजीपी आरएस भट्टी का कार्यकाल बचा हुआ था, लेकिन उन्होंने खुद ही बिहार को अलविदा कह दिया। उन्हें अनुमति मिल गई। अब केंद्र सरकार ने उन्हें सीआईएसएफ का महानिदेशक बना दिया है।
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