अमरदीप झा गौतम

छात्रों में एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा जागृत कर सफलता हासिल करने के उद्देश्य से एलिट इंस्टिच्यूट ने एक कार्यशाला का आयोजन किया. इस अवसर पर इंस्टिच्यूट के निदेशक अमरदीप झा गौतम ने इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा के संचार व एकाग्रता विकसित करने के लिए प्राणायाम व ध्यान शिविर आयोजित किया.

अमरदीप झा गौतम
इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए श्री गौतम ने कहा कि आम तौर पर छात्रों में प्रतिभा की कमी नहीं होती लेकिन उनमें एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा की कमी होती है, जिसके कारण वे प्रतियोगी-परीक्षाओं में सफलता पाने से वंचित रह जाते हैं. ऐसे में प्राणायाम और ध्यान के जरिये उनकी ऊर्जा को जागृत किया जा सकता है.
उन्होनें कहा कि एलिट इंस्टिच्यूट अपने छात्रों के लिए निश्चित अंतराल पर ऐसे शिविर का आयोजन करता रहता है. एलिट इंस्टिच्यूट अपने कार्यक्रम रिद्मिक-एक्शन के तहत इस शिविर का आयोजन किया.
एलिट इंस्टिच्यूट इंजीनियरिंग, मेडिकल और 12 वीं की तैयारी करने वाले छात्रों की कोचिंग कराने वाले अग्रणी इंस्टिच्यूट है.
इंस्टिच्यूट के निदेशक अमरदीप झा गौतम ने इस अवसर पर कहा कि अपनी ऊर्जा को नियंत्रित करके अपने जीवन का निर्माण एक साधना है और साधना के लिए ध्यान जरूरी है. उन्होंने कहा कि सकारात्मक-भावनाओं का विस्तार ही असल साधना है. इसलिए युवाओं को, खास कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए ध्यान जरूरी है.
पिछले अनेक वर्षों से श्री गौतम अध्ययन, ध्यान और साधना पर रिसर्च करके इसे व्यवहारिक जीवन में उतारने के प्रयोग में लगे हैं. इसके लिए वह इंजीनियरिंग, मेडिकल और 12वीं की तैयारी कर रहे अपने इंस्टिच्यूट के छात्रों के लिए शिविरों का आयोजन करते हैं.
श्री गौतम एलिट संस्थान के छात्रों को बताते हैं कि तुम्हें जो बनना है उसके बारे में तुम्हें सोचना पड़ेगा. उसकी कल्पना करनी होगी. विचार करना होगा और फिर आपका विचार ही आपको वह सब करवा देगा जो आप को करना है. आपको बस आपके विचारों के साथ लयबद्ध होना पड़ेगा. फिर आप उसी शक्ति से भर जायेंगे और आपकी हर सांस उसी दिशा में अग्रसर होगी जिस दिशा में आपकी मंजिल है.
उन्होंने बताया कि आप अपने मन पर जोर जुल्म से नियंत्रण पाने के बजाये उसके साथ तारतम्यता स्थापित करें. लयबद्धता कायम करें. और फिर आप कल्पना करें और अनुभुति करें कि जो आप बनना चाहते हैं, वह बन गये हैं. इस कार्यक्रम के शुरुआत में के अंतर्गत छात्रों को लगभग दो घंटे की एक डोक्यूमेन्टरी-फिल्म दिखाई गई, जो छात्रों के अंदर निहित ऊर्जा और प्रतिभा के उभारने की कला को लेकर आध्यात्मिक-यात्रा पर आधारित था.

 

By Editor


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