केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों से नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों पर सख्त रूख अपनाने और फॉरेन्सिक विज्ञान प्रयोगशाला बनाने पर जोर दिया है।
श्री शाह ने आज गोवा में पश्चिम क्षेत्रीय परिषद की बैठक में केन्द्र-राज्य और राज्यों के बीच परस्पर मुद्दों का आम सहमति से हल करने की जरूरत बताते हुए कहा कि इससे देश में संघीय ढांचा मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम क्षेत्र के राज्य सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 24% और देश के कुल निर्यात में 45% का योगदान दे रहे हैं। चीनी, कपास, मूंगफली और मछली के बड़े निर्यातक राज्य आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
परिषद ने पिछली बैठक की सिफारिशों पर अमल की समीक्षा की। गृह मंत्री ने कहा कि राज्यों को भारतीय दंड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में सुधार के लिए अपने सुझाव देने को कहा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे नशीले पदार्थों, पोक्सो अधिनियम और हत्याओं आदि जैसे जघन्य अपराधों के मामलों में मुख्य सचिव के स्तर पर जांच और अभियोजन के मामलों में नियमित निगरानी सुनिश्चित करें। राज्यों को बिना किसी विलंब के निदेशक के पद को भरना चाहिए। सरकार की नीति नशीले पदार्थों और उससे संबंधित अपराधों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की है। इसके लिए सटीक जांच और भरोसा पैदा करने के लिए राज्यों में फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला बनाया जाना जरूरी है।
बैठक में सभी गांवों में बैंक बनाने, प्रत्यक्ष राशि हस्तांतरण, मछुआरों के सत्यापन के लिए आधार कार्ड पर क्यू आर कोड लगाने और 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ यौन अपराधों की जांच और सुनवाई 2 महीने में पूरी करने के लिए विस्तृत निगरानी तंत्र स्थापित करने के मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
श्री शाह ने गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा में बाढ़ की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें बाढ़ से नुकसान का जल्द आकलन कर अपनी जरूरत बतानी चाहिए।
गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्रियों के साथ साथ कुछ मंत्रियों , केंद्र शासित प्रदेश दमन और दीव तथा दादर और नगर हवेली के प्रशासक एवं केन्द्र के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।
पांच क्षेत्रीय परिषदों पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी और मध्य क्षेत्र की स्थापना राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत की गई थी ताकि राज्यों के बीच अंतर-राज्य सहयोग और समन्वय स्थापित किया जा सके।