मजबूत सबूत इकट्ठा करना और कोर्ट से सजा दिलाना पुलिस का काम है, लेकिन सबूत के अभाव में अनंत सिंह एके-47 मामले में मुकदमे से बरी हो गए। हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। स्वाभाविक तौर पर कई सवाल उठेंगे। राजनीतिक गलियारे में कहा जा रहा है कि जिस प्रकार अनंत सिंह ने नीतीश सरकार को बचाने में मदद की, उसका ये इनाम हो सकता है। नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि वे किसी को फंसाते नहीं हैं और न किसी को बचाते हैं, लेकिन जब उन्हीं की पुलिस अदालत में पुख्ता सबूत ही नहीं दे पाए, तो लोगों के इस आरोप में दम लगता है कि सरकार ने नरमी बरती है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार की मंशा, नीति पर सवाल उठाएं हैं। कहा कि अनंत सिंह जब विपक्ष के साथ थे तो अपराधी थे, अब उनके साथ हैं तो बरी हो गए।
24 जून, 2015 को घर में एके-47 पाए जाने के बाद अनंत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज हुआ और उन्हें जेल जाना पड़ा। निचली अदालत ने मामले में अनंत सिंह को दस साल की सजा सुनाई। अब उसी मामले में सबूत के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया।
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याद रहे इसी साल जब नीतीश कुमार ने राजद का साथ छोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया, तो विश्वास प्रस्ताव के दौरान अंनंत सिंह की विधायक पत्नी ने राजद में रहते हुए नीतीश सरकार का साथ दिया। इसके बाद ही अनंत सिंह के छूटने की चर्चा शुरू हो गई। फिल मई में हुए लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह को पैरोल पर छोड़ा गया। पैरोल पर छोड़ना बिहार सरकार के गृह विभाग का काम है। उसी समय संकेत मिल गया था कि सरकार उनके प्रति नरमी बरत रही है। चुनाव में जदयू नेता ललन सिंह मुंगेर से प्रत्याशी थे। अनंत सिंह का मोकामा विस क्षेत्र इसी संसदीय क्षेत्र में आता है। अनंत सिंह ने ललन सिंह की मदद की और अब पुलिस पुलिस पुख्ता सबूत जुटाने में विफल रही, जिससे कोर्ट ने अनंत सिंह को बरी कर दिया।
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