अंजना ओम ने एक नहीं, दो बार प्रधानमंत्री की कराई फजीहत
सच कहा गया है समझदार दुश्मन भला, लेकिन मूर्ख भक्त ठीक नहीं। पीएम मोदी की प्रशंसक पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने अमेरिका में एक नहीं, दो बार पीएम की कराई फजीहत।
अपने चैनल पर आक्रामक ढंग से हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के पक्ष में बोलनेवाली टीवी एंकर अंजना ओम कश्यप ने विदेशी भूमि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फजीहत करा दी। अपने देश में फजीहत कराती, तो एक बात थी, पर विदेश में, वह भी अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी की फजीहत कराने के कारण वह आज किसी भी पत्रकार से अधिक चर्चा में हैं।
कांग्रेस के गौरव पांधी ने कहा कि आज तो ‘पापा की परी’ की नौकरी गई। आज सुबह अंजना अपने चैनल पर लाइव थीं। प्रधानमंत्री के अमेरिका आगमन से पूरी तरह एकसाइटेड, जोश में। एक आदमी पीएम मोदी के स्वागत में ढोल बजा रहा है। कुछ लोग खड़े हैं। अंजना ढोल बजानेवाले व्यक्ति से पूरे जोश में जोर से पूछती हैं। आपको पूरा भारत देख रहा है। बताइए, प्रधानमंत्री मोदी के आने से आप कितना एकसाइटेड (उमंग से भरे) हैं। ढोल बजानेवाला व्यक्ति अंजना के जोश के विपरीत बिल्कुल शांति से जवाब देता है। (कोई एकसाइमेंट नहीं) मुझे तो बुलाया गया है। कहा गया है कि स्वागत करने को। अब आगे कुछ पूछने की हिम्मत नहीं रह गई अंजना जी की। कायदे से पूछना चाहिए था कि आने के लिए क्या पैसे भी दिए गए। भारत में विपक्ष की रैली में कोई कहता कि वह खुद नहीं आया, उसे बुलाया गया है, तो अंजना क्या कोई अगला सवाल नहीं करतीं?
Ye ‘Papa ki pari’ ki naukri jayegi aaj 🤣 what’s wrong Anjana Om Modi ji, aise chalega propaganda? pic.twitter.com/y8Ab6DkcLZ
— Gaurav Pandhi (@GauravPandhi) September 24, 2021
यहां अंजना ओम गच्चा खा गईं। उन्होंने समझा जैसे भारत में प्रधानमंत्री किसी राज्य में जाएं, तो राज्य का, राजधानी के अखबारों में भी पहले पन्ने पर मोदी जी की तस्वीर रहती है। फिर भीतर एक पन्ना पूरा। टीवी में दिन से लेकर रात के प्राइम टाइम तक। अंजना पूरा अखबार पलट जाती हैं, लेकिन पीएम मोदी जी के अमेरिका आगमन की एक लाइन कहीं नहीं छपी है।
सोचा था अमरीकी अखबारों में भारत के अखबारों की तरह हर Page पर मोदी जी की मुस्कुराती तस्वीर होगी,
— Srinivas BV (@srinivasiyc) September 24, 2021
लेकिन ……………..
pic.twitter.com/1Fhf11Zrbi
प्रेस फ्रीडम में भारत और अमेरिका का अंतर एक बार फिर सामने था। यहां विज्ञापन रोकने तथा इनकम टैक्स के छापे अखबारों पर पड़ते रहते हैं। एक पर छापा पड़ा, तो सारे अखबार खुद ही लाइन पर आ जाते हैं। अमेरिका में पत्रकार राष्ट्रपति से भी सवाल कर सकता है। आम खानेवाला सवाल नहीं, बल्कि कड़क सवाल पूछ सकता है।
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