अंजुम बशीर ने अपने पहले ही प्रयास में कश्मी लोक सेवा आयोग की परीक्षा में टॉप रैंक प्राप्त किया है. उनकी इस सफलता से इलाके में जश्न का माहौल है.
बशीर ने एनडीटीवी को बताया है कि 1990 के दशक में वादी में अतिवाद अपने चरम पर ता. 1998 में मेरे पैतृक घर में आग लगा कर हमें बेघर कर दिया. यह घटना पूंछ जिले के सुरनकोटे की है. उस समय में आठवीं का छात्र ता.
बशीर ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करन के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की. अंजुम बशीर के पिता मोहम्मद बशीर खान रिटायर्ड लेक्चरर हैं. उन्होंने तमाम संकट को झेलते हुए अपने बेटे और परिवार को मेनस्ट्रीम में जोड़े रखा लेकिन इसकी कीमत उन्हें अपने घर की तबाही के रूप में चुकानी पड़ी.
लेकिन 18 वर्षों के बाद उनके बेटे अंजुम बशीर ने उनके ख्वाब को पूरा कर दिया. बशीर कश्मीर में अतिवाद झेल रहे हजारों युवाओं के लिए एक आदर्श बन कर उभरे हैं.