सड़ांध से बजबजाते पटना की हालत सुधरने का नाम नहीं ले रहा. और सरकार औसतन हर 9 महीने पर निगमायुक्त बदलते हुए नये अफसर अनुपम कुमार सुमन को जिममेदारी सौंप दी है. अभी पांच महीने पहले ही केशव रंजन इस पद पर थे. उन्हें चलता कर दिया गया है.
पटना की गंदगी से आहत हाई कोर्ट ने कभी कहा था कि अफसरों को काम करने का मौका दिया जाये. पर पिछले छह साल का रिकार्ड देखें तो इस पीरियड में अब तक आठ निगमायुक्त बदल जा चुके हैं.
उधर विपक्ष ने इस तबादले पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू ने तो यहां तक कह डाला है कि तबादले के इस गोरख धंधे में अदृश्य शक्ति काम कर रही है. उनका इशारा भ्रष्टाचार की तरफ है. उन्होंने अपर नगर आयुक्त की नियुक्ति पर भी सरकार को घेरा. कहा कि अपर नगर आयुक्त पद पर बिहार पुलिस सेवा के पदाधिकारी का पदस्थापन अव्यवहारिक एवं अनियमित है. यह पद तो बिहार प्रशासनिक सेवा के लिए स्वीकृत है. गौरतलब है कि शीला ईरानी बिहार पुलिस सेवा की अफसर हैं. पप्पू ने कहा कि इस पद पर पुलिस सेवा के पदाधिकारी के पदस्थापन का प्रश्न ही नहीं उठता. इस परंपरा को आधार मानकर तो किसी दिन मुख्य अभियंता के पद पर किसी चिकित्सक को पदस्थापित कर दिया जाएगा.
कौन हैं अनुपम कुमार सुमन
अनुपम कुमार सुमन मुख्यमंत्री सचिवालय के संयुक्त सचिव हैं. उन्हें निगमायुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. सुमन 2004 बैच के आईआरएस अफसर हैं. निगमायुक्त बनाये जाने के बाद सुमन ने कहा कि पटना की सफाई उनकी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि वेंडरों के लिए अधिकृत जोन डेवलप करना भी उनकी प्राथमिकता मे शामिल है.