अररिया में बना हई फाउंडेशन का अस्पताल, कोरोना का फ्री इलाज
प्रख्यात सर्जन डॉ. ए.ए. हई के नेतृत्व में संचालित हई फाउंडेशन का अस्पताल अररिया में गुरुवार से शुरू हो जाएगा। यहां कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज भी होगा।
प्रख्यात सर्जन डॉ. ए.ए. हई के नेतृत्व में संचालित हई फाउंडेशन का अस्पताल अररिया में गुरुवार से शुरू हो जाएगा। जरूरत के लगभग सामान आ चुके हैं। तत्काल छह बेड का अस्पताल होगा, जिसमें कोविड मरीजों को भर्ती किया जाएगा। उनका इलाज मुफ्त में होगा। ऑक्सीजन की भी व्यवस्था यहां की गई है।
डॉ. ए.ए. हई ने बताया कि डेढ़ माह में इस अस्पताल को 30 बेड का कर दिया जाएगा। काम प्रगति पर है। तब सामान्य मरीजों को भी देखा जाएगा और भर्ती किया जाएगा। 30 बेड का अस्पताल शुरू होने पर नाम के लिए कुछ फीस रखे जाएंगे। यह 50 या 100 रुपए होगा। अस्पताल में एक डॉक्टर हमेशा रहेंगे और एक आते-जाते रहेंगे। अस्पताल परिसर में जेनेरिक दवा की दुकान होगी।
उन्होंने अररिया में अस्पताल खोलने के कारण के बारे में बताया कि वहां की आबादी 28 लाख है। लेकिन यहां अस्पतालों में सिर्फ 400 बेड हैं। ये बेहद निराशाजनक आंकड़ा है। इसी वजह से हम लोग वहां अस्पताल खोलने का प्रयास कर रहे हैं। अस्पताल खोलने के लिए एक इंजीनियर मंजूर आलम ने अपना भवन दिया है। यह अस्पताल बेलवा चेकपोस्ट के पास मेन रोड पर स्थित है। यहां कोई भी इलाज कराने के लिए आ सकता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कुछ करना चाहता हूं: मंजूर आलम
मंजूर आलम ने बताया कि सामाजिक संगठनों के सहयोग से अररिया के बेलवा चेक पोस्ट के पास मेन रोड पर बिना मुनाफे का छह बेड का अस्पताल शुरू किया गया है। लेकिन कुछ दिनों में इसे 30 बेड का बनाया जाएगा। इस अस्पताल को बनाने के लिए जमीन मैने दी है जबकि भवन ब्राइट इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से बनाया गया है।
अस्पताल शुरू करने के संबंध में मंजूर आलम ने बताया कि अररिया स्वास्थ्य और शिक्षा में काफी पिछड़ा हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अस्पताल शुरू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल को 30 बेड का बनाने के लिए जानेमाने सर्जन डॉ. ए.ए. हई द्वारा संरक्षित हई फाउंडेशन का साथ मिल रहा है। अभी यह भवन जी़1 है। जल्द ही हई फाउंडेशन के सहयोग से इसे जी़2 किया जाएगा। मंजूर आलम ने बताया कि वो ब्राइट इंडिया फाउंडेशन के ट्रस्टी हैं। यह अस्पताल गरीबों के लिए बनाया गया है और ‘नो प्रोफिट, नो लॉस‘ के सिद्धांत पर चलेगा।
मंजूर आलम ने बताया कि वो बिहार सरकार से कार्यपालक अभियंता के पद से रिटायर हुए हैं और फिलवक्त निर्माण कार्य के बिजनेस से जुड़े हैं। लेकिन मन में हमेशा तमन्ना रही कि स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए कुछ करूं।
पांच तरह के विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवा ली जाएगी: डाॅ. ए.ए. हई
डॉ. ए.ए. हई ने बताया कि अस्पताल के संचालन में पांच विभाग के डॉक्टरों की सेवा ली जाएगी, जिसमें आंख, शिशु रोग, जनरल मेडिसिन, डायबिटीज विशेषज्ञ और महिला रोग शािमल है। इसके लिए डॉक्टरों से बात चल रही है। केरल के डॉ. अब्दुल गफ्फूर का ब्राइट इंडिया फाउंडेशन भी डॉक्टर मुहैया कराएगा। इस फाउंडेशन से 16 -17 डॉक्टर जुड़े हैं। अस्पताल में ओटी होगा और उसमें मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए फेको मशीन लगेगा। यहां मुफ्त में मोतियाबिंद का ऑपरेशन होगा। कोशिश है कि मुफ्त में लेंस भी लगाया जाए। ओटी में घाव, जख्म आदि का भी ऑपरेशन हो पाएगा। यहां डॉक्टर के अलावा चार नर्स, एक लैब टेक्नीशियन, एक एक्स-रे टेक्नीशियन, एक फार्मासिस्ट, एक प्रशासन का आदमी और एक गार्ड हर समय रहेगा। अस्पताल में सफाई पर विशेष ध्यान होगा।
दान से मिलनेवाले रकम से दिया जाएगा वेतन
डॉ. ए.ए. हई ने बताया कि दान से मिलने वाली रकम से वेतन दिया जाएगा। अब्दुल गफ्फूर का ब्राइट इंडिया फाउंडेशन यह रकम देगा। बाकी खर्चे कंसल्टेंसी फीस से पूरे किए जाएंगे। एंबुलेंस और जेनरेटर का इंतजाम किया जा रहा है।
कई लोग कर रहे मदद
इस अस्पताल को खोलने में कई लोग मदद के लिए आगे आए हैं, जिनमें सीएम सिंह (अररिया), पीबी प्रसाद (चेन्नई), शकील अख्तर (आईपीएस, दरभंगा), डॉ रविकांत (सर्जन, लखनऊ), डॉ. शारिक नजीर (अमेरिका), डॉ. सईद मल्लिक (अमेरिका), अफजल हुसैन, डाॅ. फरहत हसन (पटना), असलम हसन (अररिया), पुर्णिया आदि शामिल हैं।
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बिहार के गांवों में चार और अस्पताल खोले जाएंगे: खुर्शीद अहमद
एडवांटेज सपोर्ट के सचिव एवं एडवांटेज केयर के संस्थापक खुर्शीद अहमद ने बताया कि अररिया के अस्पताल को एडवांटेज केयर की तरफ से एक एंबुलेंस दिया जाएगा। उन्होंने ने बताया कि राज्य के गांवों में इस तरह के चार और अस्पताल खोले जाएंगे। जहां अस्पताल अगले चरण में खुलेगा, उसमें मधुबनी, गया, पटना और सिवान शामिल है। अररिया के बाद मधुबनी का अस्पताल छह महीने के अंदर फंक्शनल किया जाएगा।
एसोसिएशन ऑफ 41 क्लब ऑफ इंडिया के सौजन्य से चिकित्सकीय संसाधन मिला: डाॅ. ए.ए. हई
एसोसिएशन आॅफ 41 क्लब ऑफ इंडिया के सौजन्य से 30 बेड, 14 डबल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, चार सिंगल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, फर्नीचर, स्लाइन चढ़ानेवाला के साजो समान आदि उपलब्ध कराया गया है। मुफ्त का अस्पताल खोलने के उद्देश्य पर डॉ. हई को कहना है कि 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है। लेकिन वहां स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही है। राज्य के ओवर ऑल स्वास्थ्य सेवा का सिर्फ 30 प्रतिशत हिस्सा सरकार के पास है। बाकी लोग निजी क्षेत्र पर निर्भर हैं। इसे बढ़ाना होगा। सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में जीडीपी का सात से आठ प्रतिशत खर्च करे। क्यूबा जैसा छोटा सा देश स्वास्थ्य सेवा पर अपने जीडीपी का 15 प्रतिशत खर्च करता है , जबकि अमेरिका 10 प्रतिशत। वहीं हम सिर्फ 1.4 प्रतिशत ही स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करते हैं। तभी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति सुधरेगी। इसके अलावा भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगानी होगी। स्वास्थ्य सेवा के साथ शिक्षा पर भी ध्यान देना होगा। खासकर महिला शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देना होगा।
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हई फाउंडेशन मुफ्त ऑक्सीजन दे रहा
डॉ. हई ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की भारी कमी रही। इसकी वजह से काफी जानें गई। लोग बेहद परेशान हुए हैं। इन्हीं सब को देखते हुए हई फाउंडेशन ने लोगों को मुफ्त में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने का फैसला लिया। हई फाउंडेशन का उद्देश्य भी है कि जो क्षमतावान नहीं हैं उनका निःशुल्क इलाज हो। इसके लिए शहर में तीन केंद्र बनाए गए हैं, अफजल हुसैन राबता कमिटी (भिखना पहाड़ी), रिजवान इस्लाही (सुल्तानगंज) और एमएसएम हॉस्पिटल (फुलवारीशरीफ)। लोग सिक्योरिटी मनी (छोटी रकम)देकर सिलेंडर ले सकते हैं। सिलेंडर वापस करने पर पैसा लौटा दिया जाता है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सक्रिय है हई फाउंडेशन
गौरतलब है कि हई फाउंडेशन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सक्रिय है। खासकर स्त्री शिक्षा पर इसका काफी जोर है। डॉ. हई कहते हैं कि मां यदि शिक्षित होगी तो उसका संतान कभी अशिक्षित नहीं हो सकता है। डॉ. हई के अनुसार यह फाउंडेशन इस्लाम में वर्णित ‘जकात‘ से शुरू हुआ। बाद में और बढ़ता चला गया, जिसमें उनको स्व. ज्योति कुमार सिन्हा(आईपीएस), स्व. टीपी सिन्हा(आईपीएस), स्व. एमएस सरला, हई परिवार और कसीम रजा का साथ मिला। इसकी स्थापना वर्ष 1999 में हुई।
कोरोना का टीकाकरण जरूर कराएं
डॉ. ए.ए. हई ने लोगों से अपील की कि यदि कोरोना की तीसरी लहर को रोकना है तो टीकाकरण बड़े स्तर पर करना होगा। लोग टीका दिलवाने के लिए आगे आएं। वैसे, वो भी अररिया में स्थानीय धर्म गुरुओं और नेताओं से मिलकर टीकाकरण के लिए लोगों को जागरूक करेंगे। खुद के अस्पताल में भी टीकाकरण की व्यवस्था कराएंगे।