आशा, आंगनबाड़ी सेविकाएं भी फ्रंटलाइन वर्कर, पीएम से की मांग
कोरोना योद्धा की एक श्रेणी गांवों में सर्वे करती है। पीएचएसी में लोगों के इलाज से जुड़ी हैं। लेकिन उन्हें कोई भत्ता नहीं, कोई बीमा नहीं, वेतन भी अपमानजनक।
कोरोना एक्टू से सम्बद्ध आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के आह्वान पर आज आशा, ममता, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका और विद्यालय रसोईयों ने बिहार, झारखंड, दिल्ली सहित देशभर में मांग दिवस मनाया।
इस दौरान आशा, ममता, आंगनबाड़ी व विद्यालय रसोइयों ने 1000 में दम नहीं, 10 हज़ार से कम नहीं का नारा लगा कार्यस्थलों पर प्रदर्शन व नारेबाजी की।
बिहार में 200 पीएचसी केंद्रों पर आशाओं ने प्रधानमंत्री को ज्ञापित मांगपत्र प्रभारियों को सौंपा। आशा, ममता, आंगनबाड़ी और विद्यालय रसोइया स्कीम वर्करों की मांग है- उन्हें कोरोना अवधि में 10 हजार रुपए मासिक कोरोना भत्ता, 10 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए, कोरोना ड्यूटी के लिए आवश्यक सुरक्षा सामग्री (कीट) उपलब्ध कराया जाए और 50 लाख रुपये का कोरोना दुर्घटना बीमा का लाभ मृत कर्मियों के आश्रितों को तुरन्त भुगतान कराया जाय।
ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजिका व ऐक्टू राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शशि यादव ने बताया कि कोरोना महामारी के कठिन दौर में स्कीम वर्कर्स से काम लिए जा रहे हैं, लेकिन उन्हें जरूरी सुरक्षा किट और जीने लायक पारिश्रमिक भी सरकार नहीं दे रही है। आशा और फैसिलिटेटर के लिए क्रमशः 1000 व 500 रुपये मासिक देने की घोषणा हुई है जो हास्यास्पद और अपमानजनक है, इससे रिक्शा और ऑटो के खर्च भी पूरे नही होंगे।
शशि यादव ने कहा- ममता, आंगनबाड़ी और विद्यालय रसोइयों के लिये किसी तरह की कोई घोषणा नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को आशा कर्मियों को दी जा रही तुच्छ राशि भी नहीं दी जा रही है। विद्यालय रसोइयों से काम तो लिया जा रहा है लेकिन कोई भत्ता नहीं दिया जा रहा है। ममता तो सीधे ओटी में काम करती हैं, उन्हें भी कुछ नहीं दिया जा रहा हैं।
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पूरे देश में बड़ी संख्या में आशा, ममता, आंगनबाड़ी और विद्यालय रसोइया कोरोना संक्रमित हुई हैं, इनके इलाज के लिए कोई संस्थागत व्यवस्था नहीं है। कई की मौतें हुई हैं लेकिन 50 लाख के कोरोना दुर्घटना बीमा राशि का लाभ इन्हें नहीं दिया जा रहा है। आशा को इसमें कवर करने के बावजूद शर्तों का पहाड़ खड़ा किया गया है, जिससे परिजनों को यह लाभ नही मिल पा रहा है।
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शशि यादव ने बताया कि देशव्यापी मांग दिवस आंदोलन के तहत मांगों से सम्बंधित मांगपत्र प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि सरकार स्कीम वर्कर्स को बंधुआ मजदूर समझती है, जहां किसी श्रम कानून का पालन नहीं होता है। महीनों से उन्हें मिलने वाली अतिअल्प राशि भी नही मिल रहा है, फलतः वे भुखमरी के कगार पर हैं। नवादा, मुंगेर, कटिहार, पूर्वी चंपारण, सिवान, पटना आदि दर्ज़नों जिलों में रसोइयों ने धरना देकर मांगपत्र अपने अधिकारियों को सौंपा ।
बिहार में आज मांग दिवस कार्यक्रम का नेतृत्व मालती राम, सोहिला गुप्ता, सावित्री देवी, जूही आलम, कुसुम कुमारी, विद्यावती पांडे, सुनैना कुमारी, जूली कुमारी, विजयलक्ष्मी, अनुराधा, उषा सिन्हा, तरन्नुम फैजी, उषा कुमारी ने किया।