आशा कार्यकर्ताओं का आंदोलन 22 जून से, 12 जुलाई से हड़ताल

आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों का 9 सूत्री मांगों के लिए 22 जून से आंदोलन। 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल। दस हजार महीना मानदेय करने की मांग।

बिहार में आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटर 9 सूत्री मांगों के लिए 22 जून से आंदोलन करेंगी। 12 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी। दस हजार रुपए महीना मानदेय करने सहित अन्य मांगों के लिए आशा संयुक्त संघर्ष मंच ने आंदोलन की घोषणा की है। बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट) की अध्यक्ष शशि यादव, मुख्य संरक्षक रामबली प्रसाद, एक्टू के राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार, बिहार राज आशा-आशा फैसिलिटेटर संघ की अध्यक्ष मीरा सिन्हा, विश्वनाथ सिंह, मोहम्मद लुकमान ने प्रेस वार्ता में यह घोषणा की।

संघ के नेताओं ने कहा कि बिहार की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप में करीब एक लाख आशा कार्यकर्ता, आशा फैसिलिटेटर 17 वर्षों से सेवा देती आ रही हैं। इनकी सेवाओं का ही परिणाम है कि आज बिहार में संस्थागत प्रसव के दौरान मातृ- शिशु मृत्यु दर में भारी कमी आई। परिवार नियोजन से लेकर रोग निरोधी टीकाकरण तक के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धियां हासिल हुई हैं। कोरोना महामारी के दौरान भी इन्होंने बड़ी सेवा की। लेकिन उनकी उक्त भूमिका और योगदान तथा लगातार आंदोलन करने के बावजूद केंद्र सरकार से लेकर बिहार सरकार तक उनकी बुनियादी मांगों को पूरा करने में टालमटोल कर रही है।

सरकार के इस रवैया से राज्य की आशा में भारी असंतोष व्याप्त है और निर्णायक आंदोलन शुरू करने को बाध्य हैं। आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों की 9 सूत्री मांगों की पूर्ति के लिए 22 जून को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रदर्शन नारेबाजी, 4 जुलाई को सभी सिविल सर्जन के समक्ष प्रदर्शन नारेबाजी और 12 जुलाई से राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

हमारी मांग है कि आशा कार्यकर्ता फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से ₹1000 मासिक संबंधित सरकारी संकल्प में अंकित पारितोषिक शब्द को बदलकर अन्य राज्यों की तरह नियत मासिक मानदेय किया जाए और इसे बढ़ाकर ₹10000 किया जाए।

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