दीन बचाओ देश बचाओ कांफ्रेंस की ऐतिहासिक सफलता पर जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय संयोजक अशफाक रहमान ने खुशी का इजहार करते हुए इस सफलता के लिए मुसलमानों के 70 वर्षों से लीडरशिप की तलाश की बेचैनी का नतीजा कर दिया है. लेकिन उन्होंने कहा है कि मजहबी ताजिर ने अपने स्वार्थ के लिए सब कुछ तबाह कर दिया. लिहाजा अमीर ए शरीअत को अपने पद से ससम्मान इस्तीफा दे देना चाहिए.
गौरतलब है कि 15 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में इमारत शरिया ने दीन बचाओ देश बचाओ कांफ्रेंस का आयोजन किया था. इस कांफ्रेंस में किसी राजनीतिक दल के नेता को मंच पर जगह न दे कर यह जताया गया था कि यह कांफ्रेंस किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन उसी दिन जब कांफ्रेंस समाप्त हुई मंच के संचालक खालिद अनवर को जेडीयू ने विधानसभा का टिकट दे दिया. इसके बाद मुसलमानों ने सोशल मीडिया पर भारी आपत्ति दर्ज की.
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हालांकि अशफाक रहमान ने अपने बयान में इस घटनाक्रम का सीधा उल्लेख नहीं किया है लेकिन कहा है कि अगर इस घटनाक्रम से इमारत शरिया का कोई लेना देना नहीं थी तो उसने इस मुद्दे पर सफाई क्यों दी? अशफाक रहमान ने कहा कि आज पूरी कौम ठगा हुआ महसूस कर रही है. पूरी दुनिया जानती है कि क्या हुआ और क्या नहीं हुआ. रहमान ने कहा कि अब इस मामले के विस्तार में जाने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद इमार शरिया के सम्मान को ठेस पहुंचा है लिहाजा अमीर शरिअत को अब सम्मान के साथ खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए. रहमान ने सवाल उठाया कि यह क्यों नहीं समझा जाये कि इमारत शरिया बिहार, झारखंड व उड़िसा के खिलाफ पर्दे के पीछ कोई बड़ी साजिश रची जा रही है? उन्होंने कहा कि इस साजिश में किसी मसलक या किसी पार्टी का एजेंट भी शामिल हो सकता है.
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इमार शरिया का सम्मान पर अमीर शरिअत अस्वीकार्य
अशफाक रहमान ने कहा कि दीन बचाओ देश बचाओ कांफ्रेंस की शानदार सफलता के लिए तमाम मसलकों से जुड़े संगठनों ने दिल खोल कर मदद की. लाखों की तादाद में लोग शरीक हुए और लोगों ने चिलचिलाती धूप की परवाह नहीं की. इसके लिए वे सबके सब धन्यवाद के पात्र हैं. अशफाक रहमान ने कहा कि इमारत शरिया हम सबके लिए सम्मानित संस्था है. उसकी शरई अदालत का अपना सम्मान है लेकिन इस कांफ्रेंस के दौरान अमीर शरिअत के पद पर बैठे व्यक्ति ने जो किया वह अस्वीकार्य है. रहमान ने कहा कि तमाम मजहबी संगठनों ने इस कांफ्रेंस के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया और बिना शर्त अपनी हिमायत की लेकिन उनकी भावनाओं का कोई ख्याल नहीं रखा गया.
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हमान ने कहा कि इमारत शरिया की तरह तमाम दीगर मजहबी तंजीमों का अपना सम्मान है. लेकिन, अशफाक रहमान ने अमीर ए शरियत मौलाना वली रहमानी का नाम लिए बिना कहा कि ‘एक व्यक्ति ने सभी की उम्मीदों को जमींदोज़ कर दिया’. उन्होंने अपने बयान में आगे लिखा है कि अगर यह चूक नहीं की जाती तो न सिर्फ बिहार में बल्कि पूरे भारत में मुस्लिम लीडरशिप और सियासत की शुरुआत हो जाती. अशफाक रहमान ने पूछा है कि क्या दीन बच गया? उन्होंने कहा कि एक छोटी सी चीज( विधानपरिषद की कुर्सी) के लिए मुस्लिम लीडरशिप को दफ्न कर दिया गया. अशफाक रहमान ने इस पूरे मामले में सत्ताधारी पार्टी को कुसुवार ठहराने से इनका करते हुए कहा कि उनकी तो रणनीति ही यह होती है कि वह मुसलमानों को इसी तरह का सिला देते हैं. रहमान ने आक्रामक लहजे में कहा कि दर असल मजहबी व्योपारियों की यह आदत है कि वे न खुद नेतृत्व करते हैं और न ही किसी और को नेतृत्व करने देना चाहते हैं.