जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय कंवेनर अशफाक रहमान संभवत: पहले नेता हैं जिन्होंने असम में मुस्लिम नेतृत्व वाली पार्टी के बढ़ते जनाधार पर सेना प्रमुख विपिन राव द्वारा चिंता जताने पर खुशी व्यक्त किया है. रहमान ने कहा है कि मुसलमानों के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है कि सेना प्रमुख ने मुस्लिम नेतृत्व का लोहा माना.
गौरतलब है कि सेना प्रमुख विपिन रावत ने पिछले दिनों एक सेमिनार में कहा था कि असम में बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआईयूडीएफ, भारतीय जनता पार्टी से भी तेज गति से जनाधार बनाने वाली पार्टी है.
अशफाक रहमान ने मुसलमानों को आगाह करते हुए कहा कि जरा सोचिये कि असम में मुस्लिम नेतृत्व में उभरती पार्टी से फौज के सरबराह चिंतित हैं और अगर देश भर में मुस्लिम नेतृत्व का उभार हो जाये तो क्या होगा. अशफाक रहमान ने कहा कि देश में सेक्युलरिज्म का नारा देने वाली पार्टियों ने मुस्लिम नेतृत्व को दबा रखा है क्योंकि इससे उनके नेतृत्व को खतरा है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि असम में पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में कथित सेक्युलर पार्टी कांग्रेस ने एआईयूडीएफ से इसलिए समझौता नहीं किया क्योंकि उसे डर था कि बदरुद्दीन अजमल मुख्यमंत्री बन जायेंगे. कांग्रेस के इस रवैये के कारण कांग्रेस की बुरी हार हुई और भाजपा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. अशफाक रहमान ने कहा कि कांग्रेस को भाजपा की जीत तो पसंद आ गयी लेकिन एक मुस्लिम नेतृत्व वाली पार्टी की जीत उसे मंजूर नहीं थी.
अशफाक रहमान ने कहा कि जब फौज के सरबराह पद पर रहते हुए भाजपा के पक्ष में बयान देते हों तो समझ लेना चाहिए कि देश का लोकतंत्र खतरे में है. उन्होंने कहा कि जब देश का लोकतंत्र खतरे में है तो यह मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वह लोकतंत्र और संविधान बचाने के लिए आगे आयें.
अशफार रहमान ने उन मुस्लिम संगठनों की आलोचना की जो दीन बचाओ का नारा देने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि हमें संविधान बचाने का नारा लगाते हुए अपने नेतृत्व को और मजबूत करना पड़ेगा. और हर राज्य में वैकल्पिक शक्ति के उभार के लिए काम करना पड़ेगा.