Ashfaque-Rahman नागरिकता विरोधी आंदोलन नेतृत्व उभार का सुनहरा अवसर है- Ashfaque Rahman

जनता दल राष्ट्रवादी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशफाक रहमान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की तपस्या सफल हुई। देश की जनता मानती है कि वे भगवान का कोई रूप हैं। भगवान उनसे खुश हैं और उनकी तपस्या को मान्यता मिली है। इसीलिए भगवान अपने सहयोगियों के साथ पूर्ण बहुमत पा चुके हैं। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद से मुसलमानों का भरोसा उठ गया है। इंडिया गठबंधन मुसलमानों को डरा कर वोट लेती है।

अशफाक रहमान ने कहा कि इंडिया गठबंधन उसको कहते हैं जो डर दिखाकर अल्पसंख्यक मुसलमान का वोट लेने में कामयाब रहता है। बिहार में इसकी मिसाल लालू प्रसाद की पार्टी है। उन्होंने माय समीकरण को छोड़ दिया। बिहार में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। राजद ने किसी मुसलमान को मंच साझा नहीं करने दिया। टिकट देना तो दूर है, मंच पर भी नहीं बैठाया। सभी सेकुलर कही जानेवाली पार्टियों ने मुसलमान को टिकट देने में आनाकानी की। उन्होंने तल्ख शब्दों में कहा कि जूता पहनाने या कुर्सी लगाने के लिए भी खड़ा नहीं किया। अपने बगल में बैठना तो दूर की बात है।

जनता दल राष्ट्रवादी नेता ने कहा मुसलमान का विश्वास अब लालू प्रसाद से उठ गया है। नीतीश कुमार मुस्लिम वोट लेने में कामयाब रहे। बिहार में अपनी सेकुलर छवि के कारण नीतीश कुमार पहले स्थान पर हैं, चिराग पासवान दूसरे स्थान पर, कांग्रेस तीसरे और लालू प्रसाद चौथे स्थान पर चले गए हैं।

अशफाक रहमान ने कहा कि मायावती का राजनीतिक भविष्य समाप्त है। उनके किसी वक्तव्य का जनता पर कोई असर नहीं पड़ता है।

उन्होंने कहा कि भारत में कहने को 18% मुसलमान हैं लेकिन उनका भारतीयकारण हो गया है। वह अपना नेतृत्व पसंद नहीं करते हैं। अगर अल्पसंख्यक नेतृत्व की कोई पार्टी बनती है तो सबसे पहले भारतीय मुस्लिम साथ नहीं देते हैं। भारतीय मुसलमान को दूसरी जातियों के शुभचिंतक चाहिए होता है। वह किसी भी स्थिति और परिस्थिति में अपने धर्म के नेता को पसंद नहीं करते। उनकी विचारधारा गुलाम वाली है। वह दूसरी जातियों के नेतृत्व को तो पसंद करते हैं पर अपनी जाति के नेता को संदेह की नजर से देखते हैं। आत्मविश्वास की कमी और मानसिक रूप से गुलाम आबादी की जो दशा होती है वही अल्पसंख्यक समाज की बन गई है।

उन्होंने असम के मुस्लिम नेता बदरुद्दीन अजमल के चुनाव हार जाने पर कहा कि अशिक्षित और असभ्य मुसलमान किसी भी ईमानदार और अच्छी छवि के अपने नेतृत्व को पसंद नहीं करता है। उनकी राजनीति पैसा कमाने की नहीं थी, बल्कि अपने कमाए हुए पैसों से अल्पसंख्यकों का नेतृत्व करने की थी। असम में सबसे अधिक देंगे कांग्रेस के शासनकाल में हुए, उसी कांग्रेस को मुसलमान ने अपना नेता मानकर जीता दिया।

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मुस्लिम समाज के रुख से अपनी नाजगी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मुस्लिम नेतृत्व वाले दलों का संचालन बंद कर देना चाहिए क्योंकि अल्पसंख्यक समाज अपनी मानसिक गुलामी से बाहर नहीं निकलना चाहता है।

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By Editor


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