बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की एक कविता राजनीतिक गलियारे में वायरल हो गई। कविता के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर रोज जमने वाली बैठक, जिसे नेता भूंजा पार्टी कहते हैं, से मंत्री अशोक चौधरी को बाहर कर दिया गया है। जदयू में रहते हुए बेटी को नीतीश कुमार के घोर विरोधी रह चुके चिराग पासवान की पार्टी से टिकट दिलवाने के बाद से ही मुख्यमंत्री के साथ उनके रिश्ते में खटास पड़ गई। कविता के बहाने निकली मंत्री की दर्द कहानी पर राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने भी तंज कसा है।
मंत्री ने सोशल मीडिया में जो कविता पोस्ट की, वह इस प्रकार है- बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।
एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, “छोड़ दीजिए”
बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, छोड़ दीजिए।
गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, *छोड़ दीजिए।
एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, *छोड़ दीजिए।
अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, *छोड़ दीजिए।
हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, *छोड़ दीजिए।
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, *छोड़ दीजिए।
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, *छोड दीजिए।
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मंत्री की इस कविता पर राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने ट्वीट किया- लग रहा है कि अन्दरखाने का खींचातानी अब बाहर आने लगा है।बाल-बच्चे को सेट कर अब अगली नजर एक नम्बर कुर्सी पर है।इसीलिए आजू-बाजू में रहने वाले प्रतिद्वंदियों ने भूंजा पार्टी से भी बाहर कर दिया है।लगे रहिए कहा गया है – “आग लगन ते झोपड़ा जो निकले सो लाभ” “No risk no gain” अग्रिम बधाई. राजद प्रवक्ता ने एक तरह से घर यानी जदयू छोड़ देने की सलाह दे दी है। लोग कह रहे हैं कि अभी कई अन्य नेता भी हैं।
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