अयोध्या में उद्घाटन से पहले राममंदिर ट्रस्ट व RSS-VHP में फूट
अयोध्या में उद्घाटन से पहले राममंदिर ट्रस्ट व RSS-VHP में फूट। ट्रस्ट ने आडवाणी को समारोह में आने से मना किया, अब संघ-विहिप ने कहा वे जरूर आएंगे।
अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन से पहले आयोजकों में पूट पड़ गई है। राममंदिर आंदोलन के नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा मुरली मनोहर जोशी को मंदिर के उद्घाटन में बुलाने तथा न बुलाने को लेकर फूट पड़ गई है। राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने दोनों नेताओं को पिछले दिनों उद्घाटन का आमंत्रण तो दिया, लेकिन कार्यक्रम में आने से मना भी किया। कहा कि आपलोगों की उम्र ज्यादा है, इसलिए कार्यक्रम में न आएं। हालांकि जोशी इसके बाद भी कहते रहे कि वे आएंगे, इसके बावजूद उन्हें आने से रोका गया। अब खबर है कि आरएसएस तथा विहिप के कई वरिष्ठ नेताओं ने आडवाणी से मिल कर जोर दिया कि उन्हें कार्यक्रम में जरूर आना चाहिए। इस घटनाक्रम से अजीब स्थिति हो गई है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक विहिप प्रमुख आलोक कुमार पिछले मंगलवार को आडवाणी के दिल्ली स्थित आवास पर उनसे मिले तथा मंदिर के उद्घाटन समारोह में आने का आमंत्रण दिया। VHP के बयान में कहा गया है कि 22 जनवरी को राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए दोनों नेताओं को आमंत्रित किया गया है। बयान में यह भी कहा गया है कि आडवाणी तथा जोशी मंदिर निर्माण आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं। दोनों नेताओं ने कहा है कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की कोशिश करेंगे।
अखबार लिखता है कि वीएचपी नेताओं ने बताया कि आडवाणी और जोशी को समारोह में शामिल न होने के लिए कहने पर संगठन में कोई चर्चा नहीं हुई था। पता नहीं ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने किस प्रकार दोनों से कहा कि वे समारोह में न आएं। वीएचपी प्रमुख ने कहा कि आडवाणी से मुलाकात के दौरान उनके ठहरने तथा स्वास्थ्य की देखभाल में कोई परेशानी न हो इस पर भी विचार हुआ। उनकी देखभाल की सारी व्यवस्था वीएचपी करेगा।
इधर, चंपत राय की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। उन्होंने बाजाप्ता प्रेस वार्ता करके कहा था कि आडवाणी तथा जोशी को आमंत्रण देने के साथ ही नहीं आने का अनुरोध किया गया है। इसके बाद काफी विवाद भी हुआ। स्पष्ट है कि मंदिर के उद्घाटन से पहले आपस में खींचतान शुरू हो गई है। देखना है कि दोनों नेता आते हैं या नहीं और आते हैं तो उन्हें किस प्रकार सम्मानित किया जाता है या पीछे दर्शक के रूप में रहने को मजबूर होंगे।
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