बच्चे देश के भविष्य, उनका टीकाकरण सबसे जरूरी : प्रो. नफीस
एडवांटेज केयर के वर्चुअल डायलॉग सीरीज के चौथे एपिसोड में बच्चों की मानसिक परेशानियों पर हुई गंभीर चर्चा। चर्चित विशेषज्ञों के साथ स्टूडेंट्स ने भी की शिरकत।
सरकार जल्द-से-जल्द बच्चों का कोरोना का टीकाकरण कराए। बच्चे हमारे भविष्य हैं। सरकार को इस ओर देखना होगा। जो लोग टीकाकरण कराए हैं उनको साहस भी दिया जाए। क्योंकि बहुत लोग कोरोना के टीका से डरे हुए हैं। ये कहना था शिक्षाविद रिटायर्ड प्रो. सैयद नफीस हैदर का।
प्रो. हैदर एडवांटेज केयर के वर्चुअल डायलॉग सीरीज के चैथे एपिसोड में बच्चों की मानसिक परेशानियों पर आयोजित चर्चा में बोल रहे थे। चर्चा का विषय था, ‘महामारी और बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य‘। प्रो. हैदर ने कहा कि जब तक 70 से 80 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता तब तक हम सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज खुलना चाहिए। क्योंकि सभी चीजों को ऑनलाइन नहीं पढ़ाया जा सकता है।
उन्होंने 15 माह से घर में कैद बच्चों की स्थिति पर कहा है कि एक तरह की बात सुनकर 15 माह से परेशान हैं। घबराहट हमको भी होती है। लेकिन हमे इसे छुपाना होगा ताकि आनेवाली पीढ़ी पर इसका असर न पड़े। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा पर कहा कि इसे बोझिल नहीं बनाना है, बल्कि इसे आसान बना दिया जाए। आसान तरीकों से अच्छे उदाहरण के साथ पढ़ाया जाए ताकि बच्चे उसका पसंद करें।
कोरोना काल में आर्थिक दबाव से बढ़ी महिलाओं पर हिंसा
हमें बच्चों और उनके अभिभावकों को भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हम जैसे लोगों को अभिभावकों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चों को यह कहा जाए कि वो पढ़ने में अच्छे तो वहीं अभिभावकों को बताया जाए कि उनके बच्चे पढ़ने में अच्छे हैं। लेकिन इस बीच बच्चे के जड़ को समझ पर उस पर शिक्षक काम करें।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा जरूरी थी : सुल्तान अहमद
कार्यक्रम की रुपरेखा तय करनेवाले और मॉडरेटर सैयद सुल्तान अहमद का कहना था कि पिछले 15 माह से देश-दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इस स्थिति का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और वो किस मनः स्थिति से गुजर रहे हैं, इस पर चर्चा करना जरूरी हो गया था। इसलिए हमलोग ने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा की रूपरेखा तय की। उन्होंने चर्चा में जो बातें सामने आईं उसके बारे में बताया कि लॉक डाउन के बाद सबसे पहले बच्चों का टीकाकरण किया जाए। ये बड़ा मुद्दा है। उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा आएगा। ऐसे में स्कूल के सिस्टम को रिस्ट्रक्चर करना होगा। स्कूलों मेंटल हेल्थ काउंसलर की आवश्यकता होगी। इसको योजनाबद्ध करना होगा। बच्चे चाहते हैं कि स्कूल खुलें। गौरतलब है कि सैयद सुल्तान अहमद एलएक्सएल आइडिया(बेंगलुरु) के एमडी व चीफ लर्नर हैं। ये स्कूल सिस्टम के बीच काफी सक्रिय हैं।
परीक्षा के बारे स्पष्टता हो और समय पर निर्णय हो : स्नेहा जैन
कार्यक्रम में दो स्कूल विद्यार्थी स्नेहा जैन, डीपीएस स्कुल (बेंगलुरु) और आरव त्रिपाठी, जेडी गोयनका स्कुल (लखनऊ) से जुड़े थे। स्नेहा ने कहा कि सरकार के निणय में स्पष्टता होनी चाहिए। क्योंकि पहले से ही काफी तनाव है। इसलिए परीक्षा के बारे स्पष्टता हो और समय पर निर्णय हो। स्नेहा ने कहा कि हम बच्चों को आसपास क्या हो रहा है, पता नहीं चल रहा है। हम इतने मैच्योर नहीं हैं कि समझ सकें । इसलिए हम अपने अभिभावकों को बता नहीं पाते हैं। स्नेहा ने कहा कि उनके घर में उसे छोड़ सभी लोग कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। तब पिता ने उसकी सुरक्षा के लिए घर में कैद कर दिया। ऐसे में काफी तनाव हो रहा था। चाह कर भी अपने माता-पिता के लिए कुछ नहीं कर पा रही थी। कोविड से उबरने के दो-तीन सप्ताह तक मैं परेशान रही।
रूढ़ीवादी मानसिकता छोड़कर आधुनिक सोच अपनानी चाहिए : आरव
लखनऊ के छात्र आरव त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को नए परिप्रेक्ष्य में चीजों को देखना चाहिए। पुरानी नीति को आधुनिक भारत के लिहाज से बेहतर करना चाहिए। रूढ़ीवादी मानसिकता छोड़कर आधुनिक सोच अपनानी चाहिए। हमनें महामारी की वजह से काफी मस्ती के पल मिस किए हैं। पिछले साल जब लॉक डाउन हुआ तो कुछ क रने की प्लानिंग की थी। लेकिन पांच- छह माह बाद ही बोरियत होने लगी। दूसरी लहर में तो हम लोग काफी डर गए थे।
पहले खुद करें, बच्चे खुद करने लगेंगे: रोशन अब्बास
लेखक और निदेशक रोशन अब्बास भी कार्यक्रम में शिरकत किए। उन्होंने शायर जावेद अख्तर के साथ का एक किस्सा सुनाया। कहा कि जावेद अख्तर ने कहा कि आप बच्चों से जैसा चाहते हैं पहले खुद वैस करें। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे पढ़े तो आपको भी पढ़ना होगा। आप चाहते हैं कि आपके बच्चे संयम दिखाए तो आपको संयम दिखाना होगा। यदि आप चाहते हैं कि बच्चे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें तो आपको भी दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करना होगा। बच्चे हमारा आईना होते हैं। रोशन अब्बास ने कहा कि स्क्रीन पर हमारा समय ज्यादा बीत रहा है। क्लास स्क्रीन पर हो रहे हैं, दोस्तों से बातें स्क्रीन पर हो रही हैं। ऐसे में हम लोग हफ्ते में एक साथ कोई फिल्म देंखे या बोर्ड गेम खेलें। कहने का मतलब है कि एक साथ समय बीताएं। रोशन अब्बास ने कहा कि बच्चे अनुभव से सीखते हैं।
स्कूलों में हो काउंसलर: सलोनी प्रिया
चर्चा में उम्मीद काउंसिलिंग एंड कंसल्टिंग सर्विसेज (कोलकाता) की निदेशक व मनोवैज्ञानिक सलोनी प्रिया भी हिस्सा लीं। उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मानसिक स्वास्थ्य पर जोर दिया जाए। महामारी के बाद सभी स्कूलों में काउंसलर की व्यवस्था हो। इसके लिए मनोवैज्ञानिक हों। शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाए। उन्होंने कहा कि अभिभावकों से भी मिलना हुआ है। वो भी काफी तनाव में हैं। कोविड ने सभी को डराया है। घबराहट के काफी मामले आ रहे हैं। ऐसे में मेरा सुझाव है कि संगीत बजाएं और खूब व्यायाम करें। उन्होंने कहा कि स्कूल सिर्फ बच्चों को पढ़ाते ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक भी बनाते हैं। बच्चों को परीक्षा के डर से बाहर निकालना होगा। इसको बदलना होगा। अभिभावक बच्चों के साथ छोटी-छोटी चीजों में वक्त बीताएं। बच्चों में अभी डर है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे कुछ-ना-कुछ प्रोडक्टिव कार्य में व्यस्त रहें।
13 जून को स्पोर्टस एवं काॅरपोरेट वर्ल्ड की समस्याओं पर चर्चा
एडवांटेज ग्रुप के संस्थापक एवं सीईओ खुर्शीद अहमद ने बताया कि अगले रविवार को स्पोर्टस एवं काॅरपोरेट वल्र्ड की समस्याओं पर चर्चा होगी। स्पोर्टस के सेशन में पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर सबा करीम, इरफान पठान, उभरते क्रिकेटर ईशान किशन, भारतीय बास्केटबॉल टीम की कैप्टन आकांक्षा सिंह, एलएक्सएल आइडिया के एमडी व चीफ लर्नर सैयद सुल्तान अहमद और गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक दीप्ति बोपायह शामिल होंगी। वहीं काॅरपोरेट के सेशन में चंद्रमणी सिंह, पूर्व सीईओ एलजी एवं विडियोकाॅन अर्पण बासु, डायरेक्टर कम्यूनिकेशन, कोका-कोला, डाॅ. रोमा कुमार, सिनियर कन्सलटेंट साइकोलाॅजिस्ट, महनाज परवीन, असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट, ट्रस्ट एंड सेफ्टी, अर्बन कंपनी एवं नेहा सिंह से बाते करेंगी माॅडरेटर नगमा सहर।