बच्चों को पालना कला है, जरूर सीखें : जमाअते इस्लामी हिंद

जमाअते इस्लामी हिंद की महिला विंग का दस दिनों तक चला अभियान सशक्त परिवार-सशक्त समाज कल समाप्त हुआ। नेताओं ने कहा-परिवार टूट रहे हैं, बचाना जरूरी।

कुमार अनिल

जमाअते इस्लामी हिंद ने कहा कि आज परिवार और समाज टूट रहा है। घर के बुजुर्ग उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। पति-पत्नी में तालमेल घट रहा है, इसका प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। परिवार टूटने से समाज में भी दूरियां बढ़ रही हैं।

जमाअते इस्लामी हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी और उपाध्यक्ष ई. एस अमीनुल हसन, प्रदेश अध्यक्ष मौलाना रिजवान अहमद इस्लाही ने अभियान की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि बच्चों का लालन-पालन, उनकी परवरिश एक कला है। इस कला का जानकारी देने के लिए ही देशव्यापी अभियान चला। इसके लिए सोशल मीडिया से लेकर तरह-तरह की प्रतियोगिता आयोजित की गई।

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संगठन के नेताओं ने कहा कि इस अभियान के तहत सर्वधर्म सम्मेलन भी आयोजित किए गए। सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि धर्म का उपयोग समाज को जोड़ने के लिए होना चाहिए।

नौकरशाही डॉट कॉम के इस सवाल पर कि अभियान महिला विंग ने आयोजित किया, पर सामने मंच पर एक भी महिला नहीं हैं, के जवाब में नेताओं ने कहा कि कार्यक्रम जल्दी में आयोजित किया गया। अगली बार महिला प्रतिनिधि भी रहेंगी।

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नैकरशाही डॉट कॉम के एक दूसरे सवाल पर कि समस्या की चर्चा काफी की गई है, लेकिन परिवार-समाज पर संकट का स्रोत क्या है, इसका उल्लेख नहीं है, के जवाब में संगठन ने कहा कि निश्चित रूप से यह संकट पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण उत्पन्न हुआ है।

जमाअते इस्लामी हिंद ने इन दस दिनों में परिवार-समाज को मूल्यों से जोड़ने के साथ ही एक बड़ा काम और भी किया। यह बड़ा काम था- विभन्न धर्मों को करीब लाने का प्रयास। एक दूसरे की संस्कृति का सम्मान करने पर जोर। विविधताओं के सम्मान से ही समाज और देश मजबूत होगा।

By Editor


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