बहन की गाली दी, छाती पर लात मारी, तो मोची ने भी रगड़ दिया
मनु स्मृति का पाठ करने वाले संघी मिजाज के एक दबंग ने जूते सीने वाले को पहले चमार कह कर गाली दी। फिर बहन की गाली। छाती पर लात मारी। फिर क्या हुआ…।
संघी-सामंती मिजाज वाले एक दबंग ने सड़क किनारे जूते-चप्पल सीने वाले को पहले चमार कह कर अपमानित किया। बहन की गाली दी। फिर उसने जमीन पर बैठे मोची के सीने में लात मारी। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसकी उम्मीद ऊंच-नीच की भावना से ओत-प्रोत दबंग ने नहीं की होगा। मोची चमार कहे जाने तक चुप रहा। बहन की गाली पर भी चुप रहा। लेकिन जब दबंग ने छाती पर लात मार दी, तो मोची भी खड़ा हो गया। धर लिया कॉलर और कई मुक्के जमा दिए। फिर तो दबंग के होश ठिकाने आ गए। वह फोन निकालते चलता बना। जैसे कह रहा हो कि अभी पुलिस को फोन करता हूं। लेकिन वह पिटने के बाद झेंप मिटाना ही था, जैसे मार खाने पर लोग कहते हैं कि अच्छा मैं दिखाता हूं।
इस घटना का वीडियो वायरल है। दलित दस्तक के फाउंडर अशोक दास ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए कहा-काम करवा कर 10₹ देने की औकात नहीं है, और मेहनतकश आदमी को औकात दिखा रहा है ये दोगला। चमार कह कर खुद को बड़ा बता रहा है यह दोगला। मोची भाई ने भी पहले सहा, लेकिन फिर दोगले को कूट दिया। यह वीडियो पटना सचिवालय के पास का बताया जा रहा है। ये है वीडियो आप भी देखिए।
काम करवा कर 10₹ देने की औकात नहीं है, और मेहनतकश आदमी को औकात दिखा रहा है ये दोगला। चमार कह कर खुद को बड़ा बता रहा है यह दोगला। मोची भाई ने भी पहले सहा, लेकिन फिर दोगले को कूट दिया। यह वीडियो पटना सचिवालय के पास का बताया जा रहा है। pic.twitter.com/8zXDC1yXoz
— Ashok Das (@ashokdasDDastak) November 9, 2022
वीडियो में दबंग खुद का परिचय भी दे रहा है। वह कह रहा है कि मोकामा चुनाव जीत कर आ रहा है। वह जिस भी जाति का हो, लेकिन इतना तय है कि वह गरीब विरोधी है, दलित विरोधी है और चरम जातिवाद से प्रभावित है। वह ऊंच नीच की भावना से भरा है। नफरत उसके दिल में है। एक बार राहुल गांधी ने भी कहा था कि उनके दल में जो संघ की विचारधारा वाले हैं, वे बाहर चले जाएं। मतलब संघ की विचारधारा कहीं भी और किसी भी जाति में हो सकती है।
आरएसएस मनुस्मृति का पक्षपोषक है। 5 अगस्त, 2020 को बाबरी मस्जिद की जगह बनने वाले राम मंदिर के भूमि पूजन के मौके पर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मनुस्मृति के श्लोक के पाठ किए थे। संघ जाति व्यवस्था के पक्ष में है, इसे साबित करने की जरूरत नहीं है। यह अनेक अवसरों पर साबित हो चुका है।
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