बालाकोट हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों की गत 27 फरवरी को हवा में झड़प के दौरान वायु सेना द्वारा भूलवश अपने ही एक हेलिकॉप्टर को मिसाइल से मार गिराये जाने के मामले में पांच अधिकारियों को दोषी पाया गया है।
सूत्रों के अनुसार एमआई -17 हेलिकॉप्टर दुर्घटना की जांच के लिए गठित कोर्ट ऑफ इन्कवायरी ने अपनी रिपोर्ट में वायु सेना के पांच अधिकारियों को दोषी पाया है। यह रिपोर्ट आगे की कार्यवाही के लिए वायु सेना मुख्यालय भेजी गयी है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी ने पांच अधिकारियों को दोषी पाया है।
गत 27 फरवरी की सुबह 154 हेलिकॉप्टर यूनिट के इस हेलिकॉप्टर ने श्रीनगर हवाई अड्डे से उडान भरी थी लेकिन यह दस मिनट बाद ही बडगाम में गिर गया। इस हादसे में हेलिकॉप्टर में सवार सभी 6 वायु सैनिकों की मौत हो गयी जबकि एक असैनिक भी हेलिकॉप्टर की चपेट में आने से मारा गया। उसी समय नौशेरा सेक्टर के हवाई क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के बीच झड़प हो रही थी।
पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद भारतीय वायु सेना ने 26 फरवरी तड़के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के निकट बालाकोट में आतंकवादी ठिकानों पर बमबारी कर उन्हें ध्वस्त कर दिया था। पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने इसके जवाब में अगले दिन यानी 27 फरवरी की सुबह भारतीय ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की जिसे वायु सेना ने विफल कर दिया।
पाकिस्तानी विमानों की कार्रवाई के चलते उस समय पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट था। इसी दौरान एमआई-17 हेलिकॉप्टर ने श्रीनगर बेस से उडान भरी। वायु सेना की जमीनी रक्षा प्रणाली उस समय चौकस थी और उसने राडार पर हवा में कुछ गतिविधि देखी लेकिन वहां तैनात अधिकारियों को यह नहीं पता चला कि यह वायु सेना का ही हेलिकॉप्टर है। इसे दुश्मन का समझ कर मिसाइल हमले में गिरा दिया गया था।