सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा चीफ लोकतंत्र पर खतरे की बात कहने व चीफ जस्टिस पर मनमानी का आरोप लगाने के मामले में इन जजों को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसियशन का भरपूर समर्थन मिल गया है. इस मामले में चीफ जस्टिस काफी दबाव में हैं.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसियेशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने साफ कहा है कि शोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड की सुनवाई कर रहे जस्टिस लोया की रहस्यमय मौत की जांच मामले को कॉलेजियम के चार वरिष्ठ जजों के के सुपुर्द किया जाना चाहिए.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्टतम जजों जस्टिस कुलकर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस जेलमेश्वर और जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रेस कांफ्रेंस करके इसी मुद्दे को उठाया था. इन जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में आने वाले मामलों को रोस्टर प्रणाली से किसी जज को सुपुर्द किया जाता है जबकि कुछ दिनों से इस प्रणाली का पालन करने के बजाये मनमानी की जा रही है जिससे लोकतंत्र को खतरा है. इन जजों ने कहा था कि देश की संस्थानों को नहीं बचाया गया तो देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ जायेगा.
याद रहे कि शोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष का नाम था. उस ममले की सुनवाई जस्टिस लोया कर रहे थे. लोया की मृत्यु रहस्यमय तरीके सो हो गयी थी. लोया के परिवार ने पिछले दिनों कैरवां मैग्जीन को बताया था कि उन्हें आशंका है कि लोया की हत्या की गयी थी.
बार एसोसियशन के अध्यक्ष ने दिल्ली में पत्रकारों को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई अगर चीफ जस्टिस खुद नहीं कर पा रहे हैं तो उन मामलों को कोलेजियम के चार वरिष्ठ जजों के पास भेजा जाना चाहिए. इन मामलों में जस्टिस लोया की मौत का मामला भी शामिल है.