बंगाल के बाद लक्षद्वीप और यूपी में भी बैकफुट पर भाजपा
बंगाल में दो-दो बार हारने के बाद अब भाजपा मुस्लिम बहुल लक्षद्वीप और हिंदुत्व की प्रयोगशाली यूपी में भी बैकफुट पर नजर आ रही है। यूपी हारे तो दिल्ली भी गई।
कुमार अनिल
प. बंगाल विधानसभा चुनाव सबकुछ झोंक देने के बाद भी भाजपा चुनाव हार गई। यहां खुद प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा मौदान में थी। चुनाव हारने के बाद भी दिल्ली की मोदी सरकार ने ममता से दो बार टक्कर ली। पहले ममता के मंत्री सहित चार नेताओं को सीबीआई ने जेल भेज दिया, फिर चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली तलब किया। लेकिन दोनों ही मामलों में ममता ने हार न मानी। लड़ गई।
इसके बाद लक्षद्वीप का मामला आया। यह केंद्र शासित प्रदेश है। यहां के प्रशासक प्रफुल्ल कोड़ा पटेल ने ऐसे निर्णय लिये जिससे न सिर्फ लक्षद्वीप में भाजपा के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया, बल्कि खुद भाजपा में विद्रोह हो गया। विपक्ष के सारे दलों ने प्रसासक को पद से हटाने की मांग की। केरल की वामपंथी सरकार के नेतृत्व में विधानसभा ने लक्षद्वीप के प्रशासक के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि भाजपा लक्षद्वीप को कॉरपोरेट हितों और हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाना चाहती है। पटेल प्रधानमंत्री मोदी के करीबी रहे हैं।
भारी विरोध को देखते हुए आज गृहमंत्री अमित शाह ने पीछे हटते हुए कहा कि लक्षद्वीप के लोगों की राय ली जाएगी। कहा, लोगों की सहमति के बिना सुधार लागू नहीं होंगे। पहले भाजपा ऐसा नहीं करती थी। चाहे सीएए या एनआरसी का मामला हो या तीन कृषि कानून।
अब सबसे बड़ी खबर यूपी से आ रही है। नैकरशाही डॉट कॉम ने यह खबर पहले ही प्रकाशित की थी कि यूपी में योगी सरकार से नाराजगी बढ़ रही है और भाजपा में खलबली है। अब यह पूरा मामला स्पष्ट हो गया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष मंत्रियों से फीटबैक ले रहे हैं। आधिकारिक तौर पर भाजपा ने कहा कि यह रूटीन कार्य है, पर राजनीतिक हलकों में हलचल बताती है कि यूपी में भाजपा की हालत खराब है और योगी सरकार से नाराजगी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इस स्थिति में भाजपा बड़ा बदलाव कर सकती है।
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राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विदाई की भी चर्चा है। कुछ लोग मान रहे हैं कि भाजपा इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकती है, क्योंकि तब योगी बगावत कर सकते हैं। कई विश्लेषक यह मानते हैं कि योगी भले ही आज रड़े तेवर दिखा रहो हों, पर मोदी ही सत्ता के केंद्र में हैं और उनके खिलाफ जाने की हिम्मत योगी नहीं कर सकते।
यूपी में अचानक पूर्व आईएएस और भाजपा एमएलसी अरविंद शर्मा चर्चा में आ गए हैं। वे प्रधानमंत्री के खास अधिकारी रह चुके हैं। खुद प्रधानमंत्री उनकी सराहना कर चुके हैं। शर्मा को डिप्टी सीएम या कोई महत्वपूर्ण विभाग दिए जाने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ, तो योगी खेमा नाराज होगा। दरअसल भाजपा इसलिए भी ज्यादा परेशान है, क्योंकि अगर भाजपा यहां विस चुनाव हारती है, तो खुद मोदी की 2024 में वापसी का रास्ता कठिन हो जाएगा।