सुशासन का डंका पीटने वाली नीतीश सरकार की सुस्ती के कारण भागलपुर दंगे का मुख्य आरोपी बरी हो गया है। पटना हाईकोर्ट ने दंगे के मुख्य आरोपी कामेश्वर यादव को बरी कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुख्य आरोपी के खिलाफ गवाही सही ढंग से नहीं कराई गई। 49 पन्ने के अपने आदेश में कोर्ट ने कामेश्वर यादव को मामले में बरी करते हुए तुरत जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जन सभाओं में कहते नहीं थकते हैं कि उन्होंने ही भागलपुर दंगे के आरोपियों को जेल भिजवाया। इसका उन्हें फायदा भी मिला। उनकी छवि सुशासन बाबू के रूप में बनी। नीतीश कुमार बार-बार कहते रहे हैं कि वे किसी को फंसाते नहीं और गवत करने वाले को छोड़ते नहीं, लेकिन अब उनके शासन में ही कोर्ट ने भागलपुर दंगे के मुख्य आरोपी को बरी कर दिया है, वह भी गवाही सही नहीं होने के कारण। स्पष्ट है गवाही सही ढंग से कराना बिहार पुलिस की जिम्मेदारी है। पुलिस विभाग हमेशा से नीतीश कुमार के अधीन रहा है। इसके बावजूद सही गवाही नहीं होने के कारण दंगे का मुख्य आरोपी बरी हो जाना किरकिरी से कम नहीं है।
हाईकोर्ट ने मामले में गुरुवार को बिहार पुलिस के अनुसंधान पर भी सवाल उठाया। कहा कि केस का सही ढंग से अनुसंधान नहीं किया गया। गवाही भी सही नहीं कराया गया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कामेश्वर यादव के खिलाफ अन्य कोई मामले कोर्ट में लंबित नहीं है, तो उसे तुरत जेल से रिहा किया जाए।
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न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह की एकल पीठ ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया है। मामला 1989 का है, जब भागलपुर में भीषण सांप्रदायिक दंगा हो गया था। दंगे के बाद देश भर में प्रतिक्रिया हुई थी। विरोध हुआ था। इसी दंगे के बाद मुसलमानों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया था तथा वे लालू प्रसाद के साथ हो गए थे।
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