बिहार की सत्ता के सबसे ताकतवर अफसर की कोरना ने ली जान

बिहार के मुख्य सचिव अरुण सिंह की कोरोना से मौत हो गयी. अरुण सिंह की मौत ने दुनिया को यह एहसास दिला दिया है कि साधन सम्पन्न और पावरफुल होना भी कोरना काल में कुछ खास मायनेनहीं रखता.

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किसी भी राज्य का मुख्य सचिव राज्य का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होता है. व्यावहारिक रूप से वह मुख्यमंत्री के समतुल्य होता है. उसका एक आदेश सीएम का आदेश होता है. लेकिन आज मुख्यसचिव अरुण सिंह सबकुछ के बावजूद कोरोना से हार गये. वह ठीक उसी तरह कोरोना से हार गये जिस तरह देश के हजारों लोग कोरोना से जंग हार रहे हैं.

ऐसे में हम सिर्फ सरकार या सिस्टम को नहीं कोस सरकते. कोरोना ने अगर किसी को झकझोर दिया है तो वह किसी को भी अपना निशाना बना सकता है. यह कैसे माना जाये कि अरुण सिंह को वेंटिलेटर नसीब नहीं हुआ होगा. उन्हें ऑक्सिजन नहीं मिली होगी. या फिर उनके इलाज में किसी तरह की कमी रह गयी होगी. वह बिहार के सबसे महंगे निजी अस्पताल में भर्ती थे. विशेषज्ञ डाॉक्टरों की विशेष टीम दिन रात उनका इलाज कर रही थी. लेकिन उन्हें जाना था. वह चले गये. कोई भी संसाधन उन्हें नहीं बचा पाया.

अरुण सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1985 बैच के अफसर थे. अभी 27 फरवरी को ही उन्होंने मुख्य सचिव का पद संभाला था. वह शालीन और व्यवहारकुशल अफसर थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन पर बहुत ज्यादा भरोसा करते थे. उनकी मौत की खुबर सुन कर मुख्यमंत्री सन्न रह गये. उन्होंने कहा उनके निधन से प्रशासनिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की चिर शांति तथा उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है.

अरुण सिंह की मौत के बाद नौकरशाही के गलियारे में मातमी सन्नाटा पसर गया है. बिहार के पूर्व आईएएस अफसर एमए इब्राहिमी ने नौकरशाही डॉट से कहा कि मैं नि:श्बद हूं. मेरे लिए यह खबर हत्प्रभ करने वाली है.

By Editor


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