Bihar Election 2020: तेजस्वी के तेवर से नीतीश नर्वस!
Bihar Election 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को अपनी पिच पर खीच कर ला चुके हैं.नीतीश ही नहीं समूचा एनडीए, तेजस्वी के एजेंडे के चक्रव्यूह में फंसता दिख रहा है. एनडीए की रैलियां हों या मीडिया के माध्यम से पक्ष रखने का मामला हो. एनडीए के तमाम नेता तेजस्वी के आक्रामक तेवर पर बचाओ की मुद्रा में है.
दृश्य- एक
तेजस्वी हर चुनावी सभा में घोषणा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री बनते ही वह पहली कैबिनेट में पहली कलम से दस लाख सरकारी नौकरियां देंगे. जब तेजस्वी अपनी बात कह रहे हैं तो भीड़ दीवानावार मचल रही है. तेजस्वी भीड़ के मनोविज्ञान को भांप ले रहे हैं. फिर वह दोहराते हैं- कितनी नौकरियां दूंगा? भीड़ से जवाब आता है- दस लाख. तेजस्वी अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए भीड़ को आश्वस्त कर रहे हैं- मुझे लम्बी राजनीति करनी है. मैं झूठ नहीं बोलूंगा.
दृश्य- दो
तेजस्वी यहीं नहीं रुकते. वह कहते हैं कि संविदा पर बहाल शिक्षकों को समान वेतनमान दिया जायेगा. तेजस्वी की यह प्रतिज्ञा बिहार के करीब छह लाख संविदा शिक्षकों के दिलों को छू जा रही है. छह लाख शिक्षकों का मतलब हुआ लगभग ( एक परिवार में पांच सदस्य के हिसाब से) 30 लाख वोटरों के दिलों में सीधा उतर जाना.
दृश्य-तीन
तेजस्वी अपने चुनावी भाषणों में नीतीश के पंद्रह साल के कार्यकाल को चुनौती देते हुए उनसे पूछ रहे हैं कि डेढ़ दशक में एक भी कारखाना क्यों नहीं लगाया? वह अपने पिता लालू यादव द्वारा स्थापित रेलवे से जुड़े तीन कारखानों को गिनाते हैं. फिर कहते हैं कि जब रेल मंत्री रहते वह कारखाने लगा सकते हैं तो नीतीशजी ऐसा क्यों नहीं कर पाये? फिर वह सभा में उमड़ी भीड़ से इंटरऐक्शन करते हुए पूछते हैं कि कारखाने लगाये जा सकते थे या नहीं? भीड़ जोरदार लहजे के साथ एक स्वर में कहती है- लगाये जा सकते थे.
तेजस्वी द्वारा हर रोज आठ-नौ सभा किये जाने के बरअक्स, नीतीश कुमार तीन चार सभायें कर रहे हैं.
दृश्य- चार
उनके भाषणों को सोशल मीडिया पर लाइव दिखाया जा रहा है. पर विडियोग्राफी में भीड़ दिखाने से गुरेज किया जा रहा है. मोनोटोनस अंदाज में नीतीश ( Nitish Kumar) करीब आधे घंटे तकरीर कर रहे हैं. इस आधे घंटे में वह अपने पंद्रह वर्षों की उपलब्धियों को गिनाने में दो तिहाई समय ले ले रहे हैं. वह बिजाली, सड़क, नल जल, मेडिकल कालेज खोलने आदि उपलब्धियों को गिनाते हुए जनता से कहते हैं- अगर आप अगली बार मौका दीजिएगा तो विकास के और कार्य करूंगा.
दृश्य- पांच
Bihar Election प्रचार शुरू होने के पहले एक दो दिनों तक नीतीश कुमार अपनी सराकर की उपलब्धियों पर फोकस करने और भविष्य में मौका मिलने पर औऱ सेवा करने की बात तक खुद को सीमित रख रहे थे. लेकिन तेजस्वी दस लाख नौकरियां देने की बात लगातार दोहरा कर महफिल लूटते रहे हैं. तब नीतीश ने अपने भाषण की रणनीति बदल ली. लेकिन उनकी इस बदली रणनीति में नीति कम, तेजस्वी के खिलाफ बौखलाहट ज्यादा दिखने लगी है. इसी बौखलाहट में नीतीश कहते हैं- “यह परिवार माल बनाने के अलावा कुछ नहीं करता. पिता तो अंदर हैं. अब यह भी अंदर जायेगा. अंदर जाने से उसे कोई नहीं बचा सकता”. नीतीश की इस बौखलाहट में उनका नर्वसनेस स्पष्ट झलक रहा है.
दृश्य- छह
तेजस्वी ( Tejashwi) की रैलियों में भीड़ उमड़ रही है. वहीं एनडीए की रैलियों में कुर्सियां खाली दिख रही हैं. नवभारत टाइम्स ने भाजपा की मुंगेर रैली और उसी दिन तेजस्वी की रैली की तस्वीर छापी है. तेजस्वी की रैली में मैदान के अलावा वहां की छतों में खचाखच भीड़ दिखी. पहले तो भाजपा के नेता भुपेंद्र यादव, तेजस्वी के दस लाख नौकरियों के वादे पर नीरस सा जवाब देते रहे हैं कि पहले खुद नौकरी देने लायक शिक्षा तो प्राप्त कर लें तब नौकरियों की बात करें. ऐसे या इसी मिलते जुलते जवाब भाजपा के नेता करते रहे हैं. लेकिन अब नीतीश भी तेजस्वी के वादे पर जबाव देने को मजबूर हो गये हैं. वह तेजस्वी से पूछने लगे हैं कि दस लाख नौकरी देने के लिए पैसा कहां से लागयेंगे. इस तरह से तेजस्वी ने, सत्ताधारी दलों को अपनी पिच पर खीच लाने में सफल रहे हैं. तेजस्वी के तेवर आक्रामक हैं. वहीं एनडीए उदासी और मनोवैज्ञानिक दबाव का शिकार हो चुकी है. तेजस्वी, रैली में युवाओं को अपनी रौ में बहा ले जा रहे हैं. तो नीतीश और एनडीए के नेता भीड़ को न सिर्फ तरस रहे हैं बल्कि बचाव की मुद्रा में दिख रहे हैं.
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