एग्जिट पोल :- कितनी हकीकत, कितना फसाना ?
संजय कुमार की रिपोर्ट
बिहार विधानसभा का चुनाव तीन चरणों में संपन्न हो गया तथा 10 नवंबर कि सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हो जाएग। 9 बजे से रुझान भी आना शुरू हो जाएगा। कौन जीतेगा, कौन हारेगा। इसका फैसला चाँद घंटो में ही हो जायेगा लेकिन एग्जिट पोल पर सवाल उठ रहे हैं कि इसमें कितनी हकीकत है और कितना फ़साना ?
बिहार चुनावों के तीनों चरणों की समाप्ति के बाद विभिन्न संस्थाओं एवं न्यूज़ चैनलों ने एग्जिट पोल दिखाना शुरू कर दिया है. बहुत बार तो इनका आकलन सही निकला है। परंतु विगत कई चुनाव में एग्जिट पोल की भविष्यवाणी गलत साबित हुई है । क्या 2020 के चुनाव में भी एग्जिट पोल सही होगी या विगत चुनाव की तरह फेल साबित होगी ? जो भी हो लेकिन कुछ नेता एवं विशेषज्ञ एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने से नहीं चुकते.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन ने एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करते हुए कहा कि कई मौकों पर भी एग्जिट पोल में लगाए गए अनुमान गलत साबित हुए हैं। उन्होंने बताया कि एग्जिट पोल करने वाले का सैंपल साइज राज्य की आबादी के हिसाब से काफी छोटा होता है। इसलिए उसमे वास्तविकता नहीं आ पाती है।
बता दें कि 2015 के बिहार चुनावों के बाद एग्जिट पोल में एनडीए को जीतते दिखाया गया था जबकि कुछ घंटों के बाद महागठबंधन को जीतते दिखाया गया. इसके आलावा दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा एग्जिट पोल में आगे थी जबकि वह चुनाव हार गयी और अरविन्द केजरीवाल की सरकार बन गयी.
इस बार Today’s Chanakya Exit Poll के मुताबिक एनडीए को महज 55 सीटों से संतोष करना पड़ेगा और महा गठबंधन को 180 सीटों पर जीत होगी।
20 20 के एग्जिट पोल के अनुसार टाइम्स नाउ सी वोटर के मुताबिक एनडीए को 116 सीटों पर जीत मिल सकती है, दिखाया गया है तो आरजेडी 120 सीटें हासिल कर सकती हैं। इसी प्रकार एक अन्य संस्था इंडिया टुडे एक्सिस माई इंडिया ने आरजेडी को 139 से 161 सीटें दी है। तो एनडीए को 69 से 91 सीटें मिलने की बात कही है। एलजेपी को अधिकतम 10 सीटें मिल सकती है।
इस बार लगभग सभी एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार बनेगी और तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री होंगे.
जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में टुडे चाणक्य ने एनडीए को 155 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी और महागठबंधन के खाते में 83 सीटें दिखाई गई थी। इसी प्रकार इंडिया टुडे ग्रुप और सिसेरो के एग्जिट पोल में एनडीए को 113 से 127 सीटें दी गई थी। तो महागठबंधन को 111 से 123 सीटें मिलने की बात कही थी। सी वोटर ने महागठबंधन को 112 से 132 सीटें मिलने का अनुमान जारी किया था। हालांकि एनडीए को भी 101 से 132 मिलने की भविष्यवाणी की थी। नील्सन ने महागठबंधन को 130 सिटी थी। जबकि एनडीए के लिए 108 सीटों का अनुमान लगाया था।
जबकि हकीकत यह थी कि 2015 में महागठबंधन ने सभी एग्जिट पोल के अनुमानों को गलत ठहराते हुए 178 सीटों पर जीत हासिल की। तो एनडीए 58 सीटों पर सिमट गया ।अन्य के खाते में 7 सीटें गई थी।
अब सवाल उठता है कि आखिर क्यों , एग्जिट पोल गलत साबित हो रहे हैं या जानबूझकर ऐसी गलतियां की जाती है। किसी को सत्तासीन दिखाया जाता है तो किसी को सत्ता विहीन ।आखिर ऐसे एग्जिट पोल के मायने क्या है। आम जनता भी अब समझ चुकी है कि एग्जिट पोल वाले मैनेज होकर ही किसी को सत्ता मिलते दिखाते हैं तो किसी को सत्ता गवाते । इस बार बिहार में राजद को एग्जिट पोल में सत्ता मिलते दिखाया गया है।
अगर पिछली बार की तरह इस बार भी एग्जिट पोल गलत साबित होते है ,तो कल राजद यही आरोप लगाएगा की सत्ता पक्ष ने ईवीएम में छेड़छाड़ किया है तथा इनके समर्थक सड़कों पर उतार कर हल्ला हंगामा करने लग सकते हैं ।आखिर एग्जिट पोल हकीकत है या फसाना।