Surgical Strike:पहले चरण के मतदान के बाद ही बिहार में नर्वस हो गया NDA 
2019 लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण के मतदान समाप्त हो गये हैं. देश के कुल 91 सीटों पर मतदान हुए हैं. इधर बिहार में चाल लोकसभा सीटों पर चुनाव हुआ है. ये चार सीटें हैं- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई.
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औरंगाबाद में भाजपा के सुशील कुमार सिंह, गया से भाजपा के हरि मांझी, नवादा में भाजपा के गिरिराज सिंह, जमुई में एलजीपी के चिराग पासवान यानी चारों की चारों सीट NDA के खाते में थी.
लेकिन NDA की सबसे बड़ी चुनौती इन चारों सीटों को बचा लेने की है. जाहिर है NDA ने इन चारों सीटों को बचा लेने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया था.
लेकिन आज हुए चुनाव के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ये चारों सीटें बच पायेंगी.इन चारों लोकसभा सीटों पर हमारे सहयोगियों के भ्रमण और दीगर सूत्रों से मिली जानकारी और मतदाताओं के रुझान के बाद भाजपा और उसके सहयोगियों के खेमे में काफी तनाव है.
आइए देखते हैं चारों सीटों पर कैसा रहा मतदाताओं का मिजाज.
औरंगाबाद
औरंगाबाद में अगर भाजपा के सुशील कुमार सिंह अपनी सीट बचा लेते हैं तो वहां से राजपूत प्रत्याशियों का 1952 से बना किला बच जायेगा. लेकिन अगर आरएलएसपी के उम्मीदवार उपेंद्रा कुमार ने बाजी पलट दी तो चित्तौरगढ़ के इस किले को औरंगाबाद की जनता ध्वस्त होते देख सकेगी. हालांकि औरंगाबाद में टक्कर बहुत कठिन है. आरएलएसपी के उम्मीदवार के फेवर में जहां मतदाताओं ने वोटिंग खूब की वहीं भाजपा के सुशील सिंह को भी खूब वोट मिले.
गया में जीतन मांझी उत्साहित
गया में हम यानी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी ने जदयू के विजय मांझी को कड़ी टक्कर दी है. जबकि यहां पर भाजपा के समर्थकों द्वारा विजय मांझी के साथ भीतरघात करने की भी खबरें मिली हैं. इस कारण यहां की स्थिति NDA के लिए चिंताजनक है. जीतन राम मांझी के उत्साह की एक वजह यह भी थी कि चुनाव से एक दिन पहले कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और फिल्मस्टार शत्रुघ्न सिन्हा ने उनके लिए चुनाव अभियान चलाया और सभा की. इस सभा के बाद से मांझी के फेवर में रंग जमने के कारण भी जीतन राम मांझी का चेहरा खिल गया.
नवादा का हाल
नवादा लोकसभा एक ऐसी सीट रही है जो पिछले एक महीने से चर्चित रही. यहां से भाजपा के गिरिराज सिंह का टिकट कट गया जो यहां के सांसद थे. गिरिराज ने यहां पर मजबूत पकड़ बना ली थी और कैडरों की पूरी फौज खड़ी कर ली थी. लेकिन गिरिराज को टिकट नहीं मिलने के कारण लोक भाजपाइयों में रोष था. उधर एलजेपी की चंदन सिंह एक अनुभवहीन नेता होने के कारण मुश्किलों में फंस गये. वहीं दूसरी तरफ नवादा के राजद नेता राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी के प्रति आम मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया. चूंकि राजबल्लभ यादव यहां से अनेक बार चुनाव जीत चुके हैं और यहीं के मूलनिवासी हैं इसलिए उनके परिवार का अच्छा होल्ड रहा है.
जमुई में घिर सकते हैं चिराग
चिराग पासवान जमुई लोकसभा में कई चुनौतियों का सामने शुरू से ही कर रहे थे. कई इलाकों में उनके प्रचार गाड़ियों के प्रवेश पर लोगों ने रोक लगा दी थी. स्थानीय लोगों की नाराजगी की वजह उनका इस इलाके से लगातार गायब रहना था. हालांकि चिराग पासवान ने आखिरी दिनों में बड़े पैमाने पर फेसबुक पर प्रायोजित एडवर्टिजमेंट चला कर और अपने काम और उपलब्धियों को बताने की कोशिश की है. लेकिन यहां से आरएलएसपी के उम्मीदवार भूदेव चौधरी ने माना जा रहा है कि उन्हें मजबूत टक्कर दी है. इस कारण यहां का रण चिराग पासवान के लिए आसान नहीं है.