पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा की मौत पर राजनीतिक गलियारे में फैली शोक की लहर
बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा (Jagarnat Mishra) का आज लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली में निधन हो गया. उनकी मौत के बाद राजनीतिक गलियारे में मातम का माहौल फैल गया.
1975,1980 और 1989 में कांग्रेस पार्टी से मुख्यमंत्री रहे जगन्नाथ मिश्रा कालेज के प्रोफेसर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी.
तीन रहे मुख्यमंत्री
लंबी बीमारी से जूझ रहे जगन्नाथ मिश्रा आज सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे यह दुनिया छोड़ चले गए। डॉ. मिश्रा राजनेता के अलावा आर्थिक व सामाजिक विषयों पर गहरी समझ रखते थे और इन विषयों पर उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी थीं.
1990 में उनके राजनीतिक पतन के बाद बिहार की बागड़ोर लालू प्रसाद ने संभाली . 1989 के भागलपुर में हुए भयावह दंगे के बाद कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा था तब उसके बाद कांग्रेस दोबारा कभी अपने दम पर सत्ता नहीं प्राप्त कर सकी.
यह भी पढ़ें- चार घोटाला से कैसे जुड़ा जगन्नाथ मिश्रा का नाम
वह 90 के दशक में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी रहे। राजनीति में आने से पहले जगन्नाथ मिश्रा लेक्चरर थे। उन्होंने बिहार यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी।
डा. मिश्रा की मौत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, भाजपा, जदयू व राजद समेत तमाम दलों के नेताओं ने संवेदना व्यक्त की और उनके योगदान की सराहना की.
डा. मिश्रा की मौत के बाद राज्य में तीन दिन के शोक की घोषणा की गयी है.
डा. जगन्नाथ मिश्रा के राजनीति में आगमन की कहानी काफी अकसमात है. उनके भाई ललित नारायण मिश्रा रेल मंत्री थे और उनका कत्ल हो गया था. उनकी हत्या के बाद जगन्नाथ मिश्रा सक्रिय राजनीति में आये और देखते ही देखते वह बिहार कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता बन गये.
बाद के दिनों में मिश्रा ने कांग्रेस छोड़ दी. उनकी निकटता जदयू से बढ़ी लेकिन वह सक्रिय रूप से जदयू के सदस्य तो नहीं बने लेकिन उनके बेटे नीतीश मिश्रा जदयू से विधायक व मंत्री बने लेकिन बाद में नीतीश मिश्रा भाजपा में शामिल हो गये.