बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मामले में खलनायक बनी भाजपा
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्रदेश के मान-सम्मान से जुड़ा सवाल है। नीतीश कुमार आगे बढ़कर इस मांग को उठाते रहे हैं। भाजपा खलनायक बनी।
केंद्रीय एजेंसी नीति आयोग ने अपनी हर रिपोर्ट में बिहार को फिसड्डी बताया, तो सीएम नीतीश कुमार की इस बात की पुष्टि हो गई कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर ही इसे विकसित राज्य बनाना सम्भव है। इस मांग को लेकर नीतीश कुमार लगातार डेढ़ दशकों से संघर्ष करते रहे हैं। यह मांग बिहार के मान-स्वाभिमान से जुड़ गया है। बिहार की अस्मिता का सवाल बन गया है। इस मांग के समर्थन में प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों की समान राय है, सिर्फ भाजपा इस मामले में खलनायक की भूमिका में है।
भाजपा की दलील थोथी है कि राज्य को विभिन्न मदों में जरूरत से ज्यादा धन दिया गया है, जबकि चुनाव के वक्त बिहार की बोली लगाकर पीएम ने जो सवा लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की थी, उसमें आजतक एक पाई नहीं दिया। कहने को बिहार में डबल इंजन सरकार यानी भाजपा जदयू और अन्य की है पर केंद्र सरकार ने आर्थिक सहायता के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी आजतक नहीं दी।
हकीकत यह है फ़ेडरल स्ट्रक्चर में देश के राज्यों को जितने धन दिए जा रहे हैं बिहार को भी उतनी ही राशि मिल रही है। इसके अलावा एक फूटी अतिरिक्त नहीं। भाजपा का यह कहना कि बिहार मोदी के दिल में बसता है, विशेष कृपा है, सरासर झूठ है। अगर यह होता तो वे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दिए होते। मापदण्ड का हवाला न देकर परिस्थितियों के आकलन के आधार पर बिहार की चिरपरिचित इस मांग को जरूर पूरा कर देते पर ऐसा होने की जगह नीतीश के कंधों पर सवार हो जो भाजपा सत्ता की मलाई चाट रही, सुख भोग रही, पर इस मामले में विरोध कर हास्यास्पद बनती जा रही है। अलग थलग पड़ गई है।
जो परिस्थिति बन रही है, धुर विरोधी राजद और जदयू की नजदीकियां इस मुद्दे पर बढ़ती चली गई तो वो दिन भी दूर नहीं होगा जब भविष्य में दोनों मिलकर सरकार भी बना लें।
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