कोरोना इंसानों के लिए संकट तो है. संस्थाओं के लिए भी यह बड़ी त्रासदी बन चुका है. कोरोना के कारण बिहार विधान परिषद टुअर तो हुई ही है, अपनी 38 प्रतिशत संतानों ( सदस्यों) को भी गंवा चुकी है.
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अगर कोरोना के कारण लाकडाउन नहीं हुआ हो ता तो अब ग्रेजुएट क्षेत्र व शिक्षक निर्वाटन क्षेत्रों के चुनाव हो चुके होते.
naukarshahi media desk
आज यानी 23 मई 2020 तक बिहार विधान परिषद के 29 सदस्य, अपनी सदस्यता की अवधि पूरी कर चुके हैं. केवल आज दस सदस्यों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया. विधान परिषद में कुल 75 सदस्य होते हैं. इन में से 29 अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं.
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कोरोना और लाकडाउन के कारण इन सीटों पर चाह कर भी चुनाव नहीं कराया जा सका है. उधर बिहार विधान परिषद के सभापति व उपसभापति जैसे पद पर भी कोई नहीं रह गया है. परिषद के कार्यकारी सभीपति हारूनरशीद का भी कार्यकाल समाप्त हो चुका है.
इस तरह बिहार विधान परिषद फिलहाल न सिर्फ टुअर हो चुकी है बल्कि अपनी 75 में से 29 संतानों को खो चुकी है. जानकार बताते हैं कि बिहार विधान परिषद के जीवन काल में एक समय में 29 सदस्यों की सीट कभी खाली नहीं रही.
परिषद का इतिहास
याद रखने की बात है कि बिहार का गठन 1911 में हुआ था. उसके एक वर्ष बाद बिहार विधान परिषद की स्थापना हुई थी. तब बिहार विधान परिषद में सदस्यों की कुल संख्या 43 रखी गयी थी. परिषद की पहली बैठक 20 जनवरी 1913 को पटना कॉलेज बांकीपुर में आयोजित की गयी थी.
बिहार विधान परिषद के मनोनयन कोटे के 10 सदस्यों का कार्यकाल शनिवार को समाप्त हो गया. इसी महीने स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के अलावा विधानसभा कोटे की 17 सीटें खाली हुई थीं।
सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने के कारण विधान परिषद कई दशक बाद बिना सभापति और उपसभापति के है। जानकारों के अनुसार विधान परिषद में श्रीकृष्ण सिंह के कार्यकाल में पहली बार 1958-59 में विधान परिषद बिना सभापति व उप सभापति के हुआ था। इसके बाद 1970 व 80 के दशक में भी ऐसा हो चुका है। चूंकि सभापति के नहीं होने से कोई संवैधानिक संकट नहीं है, इसलिए किसी को इसका प्रभार नहीं दिया जाता। उधर, सरकार में शामिल दो मंत्री नीरज कुमार व अशोक चौधरी भी सदन के सदस्य के बगैर ही सरकार में शामिल हैं। हालांकि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार किसी सदन का सदस्य रहे बगैर भी 6 माह तक मंत्री रहा जा सकता है। इस कारण इन दोनों पर कोई संकट नहीं है।
23 मई को इनके कार्यकाल हुए पूरे
रामलषण राम रमण, राणा गंगेश्वर सिंह, जावेद इकबाल अंसारी, शिवप्रसन्न यादव, संजय कुमार सिंह उर्फ गांधीजी, रामवचन राय, ललन सर्राफ, रणबीर नंदन, विजय मिश्रा व रामचन्द्र भारती शामिल
6 मई को इनके कार्यकाल पूरे हुए
मंत्री नीरज कुमार, दिलीप चौधरी, देवेशचंद्र ठाकुर, डॉ. एनके यादव, प्रो. नवल किशोर, केदारनाथ पांडेय, संजय कुमार सिंह व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा
विधानसभा कोटे से कार्यकारी सभापति रहे मो. हारुन रशीद,मंत्री अशोक चौधरी, हीरा प्रसाद बिंद, सतीश कुमार, पीके शाही, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह, संजय मयूख व राधा मोहन शर्मा का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है।