बिहार में 22 दिनों से चल रही बेरोजगारी के खिलाफ हल्ला बोल यात्रा

बिहार आंदोलनों की प्रयोग भूमि रही है। युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम और उनके साथी बिहार में 22 दिनों से बेरोजगारी के खिलाफ हल्ला बोल यात्रा कर रहे हैं।

पटना के अखबार भले जगह न दे रहे हों, टीवी चैनल भले ही नहीं दिखा रहे, पर युवा हल्ला बोल की बेरोजगारी के खिलाफ यात्रा पिछले 22 दिनों से लगातार जारी है। यह यात्रा महात्मा गांधी की कर्मभूमि चंपारण से 16 अगस्त को शुरू हुई थी। देश में बेरोजगारी के खिलाफ अभियान चलाने वाले संगठन युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम और उनके साथी लगातार बिहार की यात्रा कर रहे हैं। बेरोजगारों को संगठित कर रहे हैं। उनके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक दल भी नहीं है, इसके बावजूद हल्ला बोल की टीम हर जिले पहुंच रही है।

बिहार आंदोलनों की प्रयोग भूमि रही है। अगर मंशा साफ हो, मुद्दे सही हों, तो जनता का प्यार और समर्थन मिलता ही है। युवा हल्ला बोल के पास निश्चित ही संसाधनों की कमी है, पर वे युवकों के समर्थन के बल पर आगे बढ़ रहे हैं। वे उत्तर बिहार के अनेक जिलों में यात्रा करने के बाद अब दक्षिण बिहार में हैं। कल युवा हल्ला बोल की टीम नालंदा पहुंची।

युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम छोटी-छोटी सभाएं कर रहे हैं। बेरोजगार युवकों से सीधे भी संवाद कर रहे हैं। नालंदा में बेरोजगार युवा नारा लगा रहे थे- आत्महत्या नहीं, आंदोलन होगा। संभल जाओ सरकार, युवा मांगे रोजगार। बदलेगा हवा, देश का युवा।

अनुपम अपनी छोटी-छोटी सभाओं में बेरोजगारी के मूल कारणों पर जोर देते हैं। बिहार में पलायन का मु्द्दा भी उन्होंने उठाया। कहा, सिर्फ पेट भरने के लिए भी बिहार के युवाओं को प्रदेश से बाहर कमाने जाने पड़ता है। वे लगातार बिहार में बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करने, बिहार में ही युवकों को रोजगार देने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में आत्महत्या करनेवाले सबसे ज्यादा दैनिक मजदूर तथा बेरोजगार युवा हैं। वे बिहार को बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन का केंद्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके अभियान को जिस प्रकार युवाओं का समर्थन मिल रहा है, उससे उनका हौसला बढ़ा है।

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