बिहार में INDIA गठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया, ऐलान बाकी>
बिहार में INDIA गठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया, ऐलान बाकी। देश में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक प्रत्याशी देने के मामले में बिहार सबसे आगे।
इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे को कठिन काम माना जा रहा था, लेकिन बिहार में गठबंधन ने आपस में सीटों का बंटवारा फाइनल कर लिया है। गठबंधन की कोशिश है कि लोकसभा चुनाव में देशभर में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक प्रत्याशी हो। पिछले चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट नहीं था। इसका फायदा भाजपा को मिला था और विपक्ष को नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार इंडिया गठबंधन की शुरू से कोशिश है कि विपक्ष के वोट को बंटने नहीं दिया जाए। इस दृष्टि से बिहार में सीटों का बंटवारा सहजता से हो जाना बड़ी बात है।
इस बीच राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने भी कहा कि बिहार में सीटों का बंटवारा हो चुका है। सिर्फ औपचारिक एलान होना शेष है। राजद और जदयू के सूत्रों ने बताया कि 29 दिसंबर को जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद गठबंधन की सीटों का एलान कर दिया जाएगा।
बिहार में गठबंधन में एकता शुरू से अच्छी रही है। विपक्षी एकता की दृष्टि से बिहार को मॉडल माना जा रहा है। सिर्फ एक या दो सीटों पर विवाद की आशंका थी, लेकिन शेष 38 सीटों पर कोई विवाद नहीं माना जा रहा था। जदयू ने पिछली बार 2019 लोकसभा चुनाव में 16 सीटों पर जीत हासिल की थी। एक सीट किशनगंज पर कांग्रेस का कब्जा है। राजद को पिछली बार एक भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी। इसका अर्थ यह नहीं कि उसकी ताकत कम है। वह अमूमन हर सीट पर दूसरे स्थान पर रही थी।
बिहार में 2019 में भाजपा को 17 तथा लोजपा को छह सीटों पर जीत मिली थी। दोनों को मिला कर 23 सीटें हैं। इन्हीं सीटों का मुख्यतः बंटवारा होना है। जदयू एक या दो सीट राजद को दे सकता है और उसके बदले में वह कोई दूसरी सीट ले सकता है। मिल रही जानकारी के अनुसार राजद और जदयू दोनों 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस छह सीटों की मांग कर रही थी। भाकपा माले ने कई सीटों की मांग की थी, लेकिन माना जा रहा है कि उसका जोर दो सीटों पर है। आरा लोकसभा सीट माले को मिल सकती है। जिले में उसके दो विधायक हैं।
बिहार में सीटों के बंटवारे के बाद सबकी नजर दरअसल यूपी पर लगी है। यहां लोकसभा की सर्वाधिक 80 सीटें हैं। यहां सपा, कांग्रेस तथा रालोद के बीच गठबंधन होना फाइनल है। लेकिन सीटों का बंटवारा किस प्रकार होता है, यह देखना है। यूपी में मायावती को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। वे इंडिया गठबंधन के साथ आना चाहेंगी या अकेले चुनाव लड़ेंगी यह देखना होगा। वैसे सपा के बारे में कहा जाता है कि वह बसपा को साथ लाने के विरोध में है। इस तरह यूपी में गठबंधन को कई पेंच सुलझाने हैं।
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