बिहार में ऑक्सीजन की कमी न होने का सीएम का दावा झूठा
1974 आंदोलन की नेता कंचनबाला ने सीएम को झूठे बयानबाजों का सरदार बताया है। सीएम के उस बयान की धज्जी उड़ा दी जिसमें ऑक्सीजन- दवा की कमी नहीं का दावा किया है।
कंचन बाला ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दवा-ऑक्सीजन की कमी नहीं होने के दावे की धज्जी उड़ाते हुए बताया कि उनके पड़ोस में एक कोविड-19 के मरीज हैं। उन्हें कल सुबह अस्पताल से इसलिए वापस जाने को कहा गया, क्योंकि वहां ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं था। उनकी स्थिति खतरनाक थी, ऑक्सीजन लेवेल 60 पर चला गया जबकि 90 के नीचे नहीं होना चाहिए।
मजबूरी में परिवार के लोग मरीज को घर लेकर आए और किसी तरह बारह बजे रात को मार्केट से ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था हो सकी। लगभग बारह घंटे तक उनकी स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
कोरोना से त्रस्त देश ने प्रधानमंत्री मोदी से पहली बार मांगा इस्तीफा
यह तो हुई ऑक्सीजन की वास्तविक स्थिति। जहां तक जरूरी दवाओं का सवाल है। रेमडेसिवर कोविड की एक अनिवार्य दवा है। मेरे एक मित्र ने अपने व्हाट्सएप पर लिखा कि उनके एक दोस्त का साला कोरोनाग्रस्त है, उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत थी। हमलोग सब जगह खोज कर हार गये। अंत में 24 हजार की जगह तीन लाख रूपए देकर छह इंजेक्शन खरीदना पड़ा।
योग से कोरोना खत्म का दावा करने वाले बाबा के यहां 39 पॉजिटिव
मुजफ्फरपुर के 74 आंदोलन और छात्र युवा संघर्ष वाहिनी के वरिष्ठ साथी रमेश पंकज भी मुजफ्फरपुर में ही एक प्राइवेट नर्सिंग होम में भर्ती हैं, उन्हें भी दवा काफी मशक्कत के बाद ब्लैक से खरीदनी पड़ी। इस सच्चाई को जानने के बाद गरीब तो दूर सामान्य मध्यवर्ग के मरीजों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
‘अच्छी’ सड़कों पर तेजी से एंबुलेंस दौड़ा कर अपने मरीज परिजनों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराइए और लुटकर बेमौत मर जाइए। सुशासन बाबू के विकास की असली सच्चाई तो यही है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य को विकास का असली पैमाना होना चाहिए था, जो नीतीश जी के दिमाग से ये तीनों गायब है।