बिहार में आरक्षण बढ़कर हो सकता है 75 फीसदी, आएगा भूचाल

बहुत दिनों से बिहार की राजनीति शांत और स्थिर थी। खबर है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव आरक्षण बढ़ाकर 75 फीसदी कर सकते हैं। जल्द आएगा राजनीतिक भूचाल।

बिहार की राजनीति में जल्द बड़ा भारी राजनीतिक भूचाल आ सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 75 प्रतिशत करने का मन बना चुके हैं। स्वाभाविक है, इससे भाजपा को भारी झटका लगेगा। जाति आधारित जनगणना के सवाल पर भी भाजपा ने सबसे अंत में किसी प्रकार अपनी सहमति दी थी। खबर यह भी है कि महागठबंधन के अन्य दलों के प्रतिनिधियों ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात करके आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 75 प्रतिशत करने की मांग की है। अब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत बिहार में 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा है।

मिली जानकारी के अनुसार महागठबंधन सरकार इसी महीने 23 नवंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव ला सकती है। विधानसभा से इसे पारित करके केंद्र के पास भेजा जाएगा, ताकि इसे नौंवी अनुसूची में शामिल किया जा सके। ऐसा होने के बाद आरक्षण के बढ़े दायरे को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। झारखंड में महागठबंधन सरकार ने भी आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया है।

बिहार की महागठबंधन सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ाती है, तो इसका सीधा असर 2014 के लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। अगर केंद्र ने बिहार सरकार के निर्णय का विरोध किया, तो 2024 चुनाव में महागठबंधन भाजपा को पिछड़ा-अतिपिछड़ा बताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगा। भाजपा आधे मन से विरोध और आधे मन से समर्थन करती है, तो भी उसे नुकसान होगा। दरअसल भाजपा पिछड़ों के आरक्षण के सवाल पर हमेशा फंस जाती है। वह तो हिंदुत्व की राजनीति करती रही है। आरक्षण का सवाल उठ जाने से हिंदुत्व कार्ड कमजोर होना स्वाभाविक होगा।

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